भगवाध्वज त्याग व समर्पण का प्रतीक : शिवनारायण
संतकबीर नगर : भगवाध्वज त्याग व समर्पण का प्रतीक है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस परम पवित्र भगवाध्व
संतकबीर नगर : भगवाध्वज त्याग व समर्पण का प्रतीक है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस परम पवित्र भगवाध्वज को ही गुरु के रूप में प्रतिष्ठित किया है। प्रतिदिन सभी शाखा पर स्वयंसेवक इसी की छत्रछाया में एकत्रित हो भारतमाता को परमवैभव पर ले जाने की साधना करते हैं। यही राष्ट्र के प्रति स्वयंसेवकों का कर्तव्य है।
यह बातें रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक शिवनारायण ने कहीं। वे शहर के बंजरिया स्थित सभागार में गुरु पूर्णिमा उत्सव पर स्वयंसेवकों को उद् बोधन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारे देश में गुरु पूजन की परंपरा है। पूर्णिमा के रूप में मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। सभी संप्रदाय और पंथों में गुरु को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। प्रत्येक समाज में सबसे पहले गुरु की वंदना होती है। पुराणों ने गुरु को सर्वप्रथम पूजनीय बताया है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में गुरु की भूमिका सबसे अधिक होती है। शिष्य अपने गुरु के बताए पथ पर आगे बढ़ता है। शिष्य के जीवन में सदाचार, कौशल, ज्ञान और बुद्धिमत्ता का विकास गुरु की कृपा से ही संभव होता है। इसलिए शिष्य को गुरु का कृपापात्र होना जरुरी है। संघ ने त्याग के प्रति भगवाध्वज को गुरु माना है इन्हीं के सानिध्यम में राष्ट्र सेवा का व्रत लेकर कार्य करता है। गुरु दक्षिणा करके कृतज्ञता अर्पित करता है। उन्होंने कहा कि संघ अमेद्य संगठन है। गुरु के समक्ष ही स्वयं सेवक अपना कार्य निष्ठा व प्रामाणिकता के साथ पूरा करता है। मातृभूमि की सेवा वीरव्रत का संकल्प लेकर दायित्वों का निर्वहन समर्पण के साथ करता है। सेवा का व्रत का पालन व मानव धर्म की रक्षा करना ध्येय है। उन्होंने संस्थापक व सर संघचालकों के जीवन प्रेरक प्रसंगों को सुनाकर जाति, धर्म,भेद -भाव को तजकर राष्ट्र धर्म के निर्वहन पर बल दिया। स्वयंसेवकों ने संकल्प का व्रत लेकर समर्पण किया। इस मौके पर विभाग प्रचारक राममनोहरजी, निर्मल यादव, भाष्कर मणि, शैलेश, धीरेंद्र, सुरेंद्र ¨सह, राकेश ¨सह बघेल, अशोक पांडेय सहित अनेक स्वयंसेवक मौजूद रहे।