सद्मार्ग पर चलने से धर्म की रक्षा संभव
संतकबीर नगर : भगवान राम ने अपने सुख का त्याग करते हुए सत्य, समर्पण व सेवा भाव से धर्म की रक्षा क
संतकबीर नगर :
भगवान राम ने अपने सुख का त्याग करते हुए सत्य, समर्पण व सेवा भाव से धर्म की रक्षा कर मानव का कल्याण किया है। ऐसे में भगवान राम जैसे चरित्र से समाज को सीख लेने की जरूरत है। भक्ति धारा के महानायक हनुमान व संत महात्माओं ने सत्य निष्ठा, समर्पण व सेवा के द्वारा आसुरी शक्तियों का नाश किया। विजया दशमी पर सभी भक्तगण सद् मार्ग पर चलने का संकल्प लें।
उक्त बातें बुधवार को बघौली के कोपिया में प्रवचन करते हुए आचार्य ज्ञान प्रकाश पांडेय ने कहीं। उन्होंने कहा कि राम चरित मानस का प्रत्येक श्लोक सही मायने में समाज का दर्पण है। कथा वाचक ने कहा राम चरित मानस का सुंदर कांड की उपासना मानव जीवन के प्रत्येक कांड को सुंदर बनाती है। भगवान के स्मरण मात्र से भक्त हनुमान पर सांसारिक मोह माया का कभी असर नहीं पड़ा। यही कारण था कि आसुरी शक्तियों की मोह माया हनुमान को लंका जाने से नहीं रोक सकी। उन्होंने कहा कि यदि हनुमान की तरह भक्ति तक पहुंचना हो तो प्रभुता में लीन हो जाओ और लघुता को निभाओ। राक्षसों के बीच रहते हुए विभीषण ने कभी धर्म का मार्ग नही छोड़ा। इसे देखकर हनुमान ने विभीषण से कहा था कि मुंह में जैसे दांत अस्थायी नहीं होते और बाद में यह गिर जाते हैं लेकिन जिह्वा जीवन भर साथ निभाती हैं। हनुमान जी ने कहा कि दांतो की तरह जो अकड़ कर रहता हैं वह जल्दी गिरता है और जो जिह्वा की तरह मुलायम बने रहते हैं वह शाश्वत बन जाते हैं। कथा श्रवण के दौरान हनुमान की सुंदर झांकी भक्तों के लिए श्रद्धा का पात्र बनी।
इस अवसर पर संजय श्रीवास्तव, राजदेव, विनोद, कृष्ण, महादेव यादव, सुग्रीम यादव आदि लोग मौजूद थे।