सत्संग भवन का ताला टूटने पर भिड़े पुलिस व संत
संतकबीर नगर : साम्प्रदायिक सौहार्द संत कबीर साहब की परिनिर्वाण स्थली मगहर प्रांगण में स्थित
संतकबीर नगर :
साम्प्रदायिक सौहार्द
संत कबीर साहब की परिनिर्वाण स्थली मगहर प्रांगण में स्थित सत्संग भवन में मंगलवार की रात पीएसी बल के जवानों को पुलिस प्रशासन के द्वारा जबरन ठहराये जाने का मामला प्रकाश में आया है। संतों का आरोप है कि सत्संग भवन में ताला लगा हुआ था लेकिन पुलिस प्रशासन ने बिना अनुमति के ही ताला तोड़कर प्रवेश दिलाया। इस बात को लेकर देर रात तक पुलिस प्रशासन और संतों के बीच गहमा गहमी चली और कुछ लोगों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ
मंगलवार की देर शाम चुनाव ड्यूटी के मद्देनजर जिले में आए पीएसी बल को ठहरने के लिये मगहर चौकी प्रभारी भगवान ¨सह फोर्स लेकर मगहर सत्संग भवन पहुंचे। यहां सत्संग भवन में ताला लगा हुआ था। भवन की चाभी के लिए पूछने समाधि स्थल पर पहुंचे तो वहां कोई जिम्मेदार व्यक्ति मौजूद नही था। समाधि स्थल पर मौजूद संतों ने भवन की चाभी के लिए महंत विचार दास से वार्ता करने की बात कही और पीएससी बल को ठहरने का विरोध भी जताया। इसकी जानकारी होने पर कोतवाली प्रभारी बब्बन यादव मय फोर्स मौके पर पहुंच गए। इसी बीच उप जिलाधिकारी ने अपने लिपिक को मौके पर भेजकर व्यवस्था किये जाने के लिए निर्देश दिया। वार्ता के दौरान ही किसी के द्वारा सत्संग भवन का ताला तोड़ दिया गया। इसे लेकर संतों में उबाल हो गया। और विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई। काफी देर तक पुलिस व संतों के बीच चला मामला जल्द भवन खाली कराने की बात पर समाप्त हुआ, और पीएससी के जवान भवन में शरण लिए। सत्संग भवन में पहले से ठहरे पीएसी बल के जवान जुलाई माह में ही खाली करके गए थे। इस दौरान संतों को काफी समस्या का सामना करना पड़ा था।
--------मर्यादा के अनुरूप हो भवन का उपयोग सत्संग भवन की मर्यादा के अनुरूप ही उसका उपयोग हो तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन ऐसे हालात में यह सार्वजनिक होते हुए भी ना ही बाहर से आने वाले संतों के काम आता है न ही नगर के लोगों के कार्य में आता है। जिला प्रशासन इसके लिए अपनी व्यवस्था बनाने में सक्षम है।
- महंथ विचार दास मगहर कबीर चौरा
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नगर पंचायत और संतों के बीच विवाद
नगर पंचायत अध्यक्ष अश्विनी कुमार गुप्त का कहना है कि सत्संग भवन सार्वजनिक संपत्ति है। जिसे डूडा ने वर्ष 2003 में निर्मित कर नगर पंचायत को सौपा था। वर्तमान में संतों ने उसे अपने कब्जे में ले लिया है, और सार्वजनिक कार्यों के लिये लोगों से इसके बदले धन भी लिया जाता है। जबकि सत्संग भवन को सुरक्षित रखने के लिये नगर पंचायत के द्वारा इसके रख रखाव पर धन भी खर्च किया जाता है। जिसको लेकर नगर प्रशासन ने जिला प्रशासन से शिकायत भी की है। जबकि महंत विचार दास इसके जवाब में कहते हैं कि सत्संग भवन संतों के ठहरने और सार्वजनिक कार्यों के लिये समाधि स्थल को सौंपा गया है। डूडा और जिलाधिकारी के हस्ताक्षर के आदेश के बिना इसे प्रयोग किया जा रहा है।