कोरमपूर्ति तक सिमट गई शैचालय निर्माण योजना
सांथा: खुले में शौच की परंपरा रोकने के साथ ही महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा
सांथा: खुले में शौच की परंपरा रोकने के साथ ही महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा हर घर शौचालय बनवाने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही विशेषकर लोहिया समग्र गांवों में शौचालयों का निर्माण करवाने के लिए लाखों रुपये खर्च भी किए जा रहे हैं। निर्माण के दौरान गुणवत्ता की अनदेखी और प्रयोग नहीं होने से उक्त शौचालय बनने के साथ ही ध्वस्त भी होते जा रहे हैं। इससे न सिर्फ सरकार के लाखों रुपये बेकार हो रहे हैं साथ ही स्वच्छ भारत का नारा अपने लक्ष्य से भटकता नजर आने लगा है। शौचालयों का निर्माण करवाने के लिए ग्रामीणों से मार्जिन मनी लेने के बाद सरकारी स्तर से रुपया लगाकर निर्माण का कार्य करवाया जा रहा है। इनके निर्माण के दौरान सरकारी मशीनरी का कार्य सिर्फ गिनती की संख्या पूरा करने तक सिमटकर रहता नजर आ रहा है। लोहिया समग्र गांवों में शौचालयों का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर किए जा रहे हैं। अनेक गांव ऐसे भी हैं जहां तीन वर्ष पूर्व बने शौचालय कूड़ाघर के रुप में प्रयोग किए जा रहे हैं तो वही कुछ में वर्ष भर के भीतर ही ध्वस्त होते दिख रहे हैं। इसके तहत ग्राम रमवापुर में वर्ष 2012-13 में लगभग पांच दर्जन शौचालय बनाए गए थे। वर्तमान में इक्का दुक्का को छोडकर सभी का प्रयोग कूडाघर के रुप में हो रहा है। इसी प्रकार विकास खंड के ग्राम मुडिला कला में भी लगभग दो दर्जन से अधिक शौचालयों का निर्माण पूरा हो चुका है और अन्य का कार्य प्रगति पर है। गंभीर बात है कि यहां एक तरफ निर्माण हो रहा है दूसरी तरफ बने शौचालय भी खंडहर बनने की राह पर चल चुके हैं। इनके फाटक आदि टूटकर गिर रहे हैं तो शीट भी धंस रही है। गांव का निरीक्षण करने आने वाले अधिकारियों की नजर इस पर नहीं पड रही है। क्षेत्रीय निवासियों ने शौचालयों के निर्माण कार्य के गुणवत्ता की जांच करवाने की मांग की है।