घाघरा में उफान जारी, सहमे ग्रामीण
संतकबीर नगर : घाघरा नदी में उफान जारी है। तीन दिन में दस से बारह सेमी घटने के बाद नदी ने चौबीस घंटे
संतकबीर नगर : घाघरा नदी में उफान जारी है। तीन दिन में दस से बारह सेमी घटने के बाद नदी ने चौबीस घंटे पूर्व 10 सेमी की वृद्धि हुई। पिछले चौबीस घंटे में अचानक तेरह सेमी बढ़कर नदी मंगलवार को 92. 200 पर पहुंच गई। जो खतरे के निशान के करीब है।
घाघरा का लगातार जलस्तर बढ़ने से आसपास के ग्रामीण अब ¨चतित हो उठे हैं। प्रशासन के बचाव उपाय अभी भी गायब है। जलस्तर के घटने के बाद जहां कटान जमीनों को निगल रही है वही जल स्तर के बढ़ने से तटवर्ती गावों में बाढ़ की आशंका छायी हुई है। तबाही की आशंका के बीच प्रशासन लाचार बना हुआ है।
तुर्कवलिया से गायघाट के बीच बसे गांवों में घाघरा के बढ़ते जलस्तर ने भय का माहौल बढ़ा दिया है। गायघाट के पास घाघरा का पानी तेजी से गांवों की तरफ बढ़ना शुरू हो गया है। यहां प्रति वर्ष प्रशासन गांवों के बाढ़ से घिर जाने के बाद राहत व बचाव के उपाय शुरू करता रहा है जिसका ग्रामीणों ने कई बार विरोध भी किया है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंग रहा है। पिछली बार की तरह इस बार भी राहत व बचाव के कुछ इसी तरह आसार दोबारा नजर आने लगे है। जलस्तर बढ़ने से पहले कटान ने क्षेत्र में भारी नुकसान पहुंचाया है। मदरा, तुर्कवलिया, चपरा पूर्वी में बहुत बड़े पैमाने पर उपजाऊ जमीने कटान में खत्म हुई है। चपरा पूर्वी से लेकर दौलतपुर तक के बीच हरे भरे वृक्षों पर कहर बन कर टूटा है। समूचे मांझा क्षेत्र से हरियाली गायब हो चुकी है। अब तो तटबंधों को मजबूती प्रदान करने वाले वृक्ष भी सुरक्षित नहीं रह गए है। लगभग दस किलोमीटर के दायरे में चल रही कटान में सैकड़ो आम महुआ, पीपल, बरगद आदि के वृक्ष नदी की कटान में समा गये है। चपरा पूर्वी निवासी लाल मन, सुनीता देवी, तिलका देवी बद्री, रामरती देवी ने कहा कि प्रशासन राहत बचाव के नाम पर पिछली गलती दोबारा दोहराने को तत्पर दिख रहा है। अब तक बचाव अभियान को कटान रोकने में मदद नहीं मिल पायी है। मांग के बावजूद ठोकर न बन पाना प्रशासन की नाकामियों को उजागर करने के लिए काफी है। बाबूलाल, श्रीकांत, सनलाल, इंद्रावती देवी, सरवन, मंशू आदि ने कहा कि मौके पर जो तबाही चल रही है। उसके लिए प्रशासन के लिए ही जिम्मेदार है।
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करोड़ों का वारा न्यारा, फिर भी तबाही जारी
जागरण संवाददाता, धनघटा: जून माह से घाघरा नदी के कटान से जो विनाश लीला शुरू हुई वह अब तक जारी है। सैकड़ों किसान भूमिहीन होने के कगार पर है। भिखारीपुर के तुर्कवलिया आंशिक गांव की पहचान पहले ही समाप्त हो गई है। अब नदी तुर्कवालियों के धुसवा व केवटहिया टोला को अपने आगोश में लेने का तत्पर है। बचाव अभियान में हर वर्ष करोड़ों का वारा न्यारा होता है। अब तक तीन वर्ष में 42 करोड़ रुपये पानी में बह गए है। फिर भी पीड़ितों को सुरक्षा नहीं मिल सकी है। घाघरा नदी की धारा से हो रही कटान को देखते हुए एमबीडी बांध पर ¨सचाई विभाग के अभियंताओं का डेरा पड़ गया था। गांव व बंधे को बचाने में उच्च अधिकारियों की रणनीति पर आवक होता रहा। कटान रोकने के लिए शुरुआती दौर में काफी धन खर्च हुआ। इस पर आंख गड़ाए एक दर्जन ठेकेदार मौके की तलाश में पहले से विभागीय अधिकारियों की जी हजूरी में जुटे थे। कटान स्थल पर बांस के बाड़ बनने शुरू हो गए।
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नदी अपनी चाल पर
-धनघटा तहसील के दोआबा में घाघरा नदी से आई बाढ़ सैकड़ों परिवारों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है। बाढ़ की तबाही ने जीविका पर संकट खड़ा कर दिया है। बचाव कार्य नदी की चाल में बौना साबित हो रहा है। नदी की चाल यही रही तो सैकड़ों परिवार पलायन कर निर्वासित जीवन गुजारने को मजबूर होंगे। मांझा के हर कोने में तबाही ही तबाही नजर आ रही है।
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- उप जिलाधिकारी सतीश तिवारी ने बताया कि नदी पर हर समय निगरानी रखी जा रहा है। कटान पूरी तरह से नियंत्रण में है। बचाव कार्य में कहीं से कमी नही आने दी जाएगी।