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गांवों में खेमेबंदी और शिकायतों की भरमार

संत कबीर नगर : ग्राम पंचायतों के चुनाव के लिए अभी कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ है, लेकिन इसकी तैयारी

By Edited By: Published: Sun, 05 Jul 2015 09:30 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2015 09:30 PM (IST)
गांवों में खेमेबंदी और शिकायतों की भरमार

संत कबीर नगर :

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ग्राम पंचायतों के चुनाव के लिए अभी कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ है, लेकिन इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है। गांवों में विकास कार्य कराने की होड़ चल रही है। दोबारा कुर्सी पर काबिज होने के लिए प्रधान गांवों में जल्द विकास कार्य कराने के लिए दबाव बना रहे हैं। वहीं विरोधी पक्ष उनके खिलाफ शिकायतों की झड़ी लगा रहे हैं।

पंचायत का चुनाव अक्टूबर माह में प्रस्तावित है। चुनाव को देखते हुए चार साल से शांत पड़े गावों में सरगर्मी तेज होने लगी है। ग्राम प्रधानों ने गांवों के रुके हुए विकास कार्यो की सुधि लेना शुरू कर दिया है। गांवों में नाली, खड़ंजा, जल निकासी, बिजली, समय से राशन वितरण कराने को लेकर कवायद की जा रही है। विकास कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए प्रधान जुटे हैं, जिससे चुनाव में विकास कार्य के नाम पर वोट मांग कर दोबारा कुर्सी पर काबिज हो सके। दूसरी तरफ विकास कार्य की गुणवत्ता, साफ सफाई को लेकर मौजूदा ग्राम प्रधानों को निशाना भी बनाया जा रहा है। प्रधानों व कोटेदारों के खिलाफ पहुंचने वाली शिकायतें बढ़ती चली जा रही है। आरोप-प्रत्यारोप में कलेक्ट्रेट, विकास भवन, ब्लाक व गांव में विरोध -प्रदर्शन भी किया जा रहा है। शिकायत व जांच का निर्देश मिलने से अधिकारी भी परेशान हैं। शिकायतों की जांच के चलते अधिकारियों पर काम का दबाव बढ़ा है। वहीं प्रधानों की ओर से विकास कार्य जल्द कराने का दबाव भी अधिकारियों पर बढ़ रहा है। गांवों में चुनावी सरगर्मी ग्रामीणों के लिए फायदेमंद हो रही है। विकास कार्य होने से ग्रामीणों की उन समस्याओं का जल्द समाधान हो रहा है, जिनकी अनदेखी की जा रही है। प्रधान भी गांव में विकास कार्य जल्द पूरा कराने के लिए रुचि ले रहे हैं।

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नामों पर बहस, गहमागहमी

- अन्य चुनावों के मुकाबले पंचायत चुनाव का मिजाज काफी रोचक होता है। गांव में इस चुनाव को प्रतिष्ठा से जोड़ा जाता है। इन चुनावों में रिश्ते अक्सर तार-तार हो जाते हैं। चुनाव में गोल बंदी व घालमेल होने से है कि राजनैतिक दल अक्सर इन चुनावों से दूरी बनाकर चलते हैं। पंचायत चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, गांव के नुक्कड़ और चौपालों में संभावित प्रत्याशियों के नाम पर बहस तेज होने लगी हैं। पंचायत चुनावों में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की नीति से महिलाओं के लिए हर प्रदेश में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान हैं। इस वजह से पर्दे में रहने वाली महिलाएं भी पंचायत चुनाव में खूब ताल ठोकती हैं। विधान सभा चुनाव के ठीक पहले होने वाले पंचायत चुनाव में नए दांव से प्रभावित हो सकते हैं। कुछ दल पार्टी मुस्लिम व दलित गठजोड़ बना कर पंचायत चुनाव में उतरने की तैयारी में है। पंचायत मतदाता सूची में राजनीतिक दल के पदाधिकारी व कार्यकर्ता रुचि ले रहे हैं। इससे गहमा-गहमी भी हो रही है।


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