बालश्रम पर अंकुश नहीं, संकट में बचपन
संत कबीर नगर : घरेलू काम, सड़क ढाबों, होटलों सहित विभिन्न उद्योग धंधों में बाल मजदूरी प्रतिबंधित है
संत कबीर नगर :
घरेलू काम, सड़क ढाबों, होटलों सहित विभिन्न उद्योग धंधों में बाल मजदूरी प्रतिबंधित है। इसके लिए बकायदा कानून बना कर अधिनियमों व उपबंधों का उल्लंघन कर किसी बच्चे से काम लेने पर जुर्माना व सजा का प्रावधान तथा पुनर्वास तक की योजना निर्धारित है। इसके बावजूद सस्ते श्रम की पूर्ति भी बालश्रम से ही की जा रही है।जनपद में आठ से पंद्रह वर्ष आयु के बीच के करीब दो सौ
से अधिक बच्चे ढाबों, होटलों, निर्माण कार्य, मोटर गैरेज व अन्य प्रतिष्ठानों में प्रतिदिन दस से बारह घंटे तक कार्य करने को विवश हैं। इसके साथ ही ठेला, रिक्शा का हैंडिल तो कूड़ा कचरा बीन कर परिवार का भरण-पोषण करना बच्चों की
मजबूरी बन गई है। उद्योग धंधे, बुनाई, हथकरघा, भवन निर्माण, होटल, ढाबा, फैक्ट्री, दुकान, वर्कशाप, सेल्स मैन, कचरा चुनना, खेती-बाड़ी नौकर आदि के काम पर भारी संख्या में बालकों से कार्य लिया जा रहा है। इन स्थानों पर कार्यरत बालक-बालिकाओं का बड़े पैमाने पर शोषण मालिकों, एजेंटों, सहकर्मियों, अपराधिक प्रवृति वाले लोगों द्वारा किया जा रहा है और डर पैदा कर उठने वाली हर आवाज को दबा दिया जाता है। मन मायूस कर पेट की भूख शांत करने व परिवार का भरण-पोषण करने के लिए सब
कुछ सहते रहते है।
- कागजों में कैद है नियम
बाल श्रम निरोधक उपबंध के अन्तर्गत बालकों के लिए अलग से कानून बनाकर क्रय-विक्रय पर रोक लगाया गया है। गैर कानूनी व अनैतिक कार्य करने पर प्रतिबंध लगाकर बालश्रम को विकट सामाजिक बुराई व अभिशाप मानकर बालकों द्वारा किए गए कार्य जिससे सीधे तौर पर स्वयं या परिवार जनों के लिए मात्र अर्थिक लाभ के लिए पहुंचाने के लिए किए गए कार्य को अनैतिक करार दिया गया है। बालश्रम उन्मूलन सिर्फ कागजों में होकर खाना पूर्ति कर रहें है। श्रम मंत्रालय द्वारा किए गए सारे प्रयास जिले तक तो आते है लेकिन बालश्रम पर रोक लगाने पर महज औपचारिकता की पूर्ति तक ही सीमित होकर रह जाते हैं।
- 26 बाल श्रमिक मुक्त
आपरेशन मुस्कान मुहिम के जरिए बच्चों को खोने की वजह से चेहरे की हंसी गंवा चुके लोगों को फिर से मुस्कान लौटाने का प्रयास चल रहा है। लापता या बिछड़े हुए बच्चों को तलाशने के लिए विशेष अभियान में पुलिस टीम द्वारा अब तक 26 बाल श्रमिक को मुक्त कराया जा चुका है। इसके लिए रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड, होटल, ईंट भट्टे, गांवों आदि स्थानों निगरानी रखते हुए घूम रहे बच्चों के बारे में जानकारी हासिल की जा रही है।