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नरकट के झुरमुटों पर बांध की सुरक्षा का जिम्मा

संत कबीर नगर: मानसूनी बरसात का आरंभ होते ही जहां नदी के जलस्तर में थोड़ा उफान भी शुरू हो गया है तो वह

By Edited By: Published: Sun, 28 Jun 2015 09:03 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2015 09:03 PM (IST)
नरकट के झुरमुटों पर बांध की सुरक्षा का जिम्मा

संत कबीर नगर: मानसूनी बरसात का आरंभ होते ही जहां नदी के जलस्तर में थोड़ा उफान भी शुरू हो गया है तो वहीं अभी तक बांध के मजबूती का कार्य पूरी तरह से पूरा नहीं हो सका है। करोड़ों रुपये की परियोजना के अंतर्गत बोल्डर आदि डालने का कार्य तो हुआ पर नदी की मुख्य धारा में लगे पिलर के साथ नरकट के झुरमुट लगाकर नदी की धारा का नियंत्रित करने की कवायद की जा रही है। कार्य में शिथिलता को लेकर कछार निवासियों को बाढ़ की आशंका सता रही है। मेंहदावल तहसील क्षेत्र की प्रमुख नदी राप्ती के 19.2 किमी लंबे तटबंध को मजबूत करके बाढ़ से सुरक्षित बनाने के लिए की जाने वाली तैयारी हर वर्ष शिथिलता की भेंट चढ़कर रह जाती है। इस बार करोड़ो की परियोजना स्वीकृत होने के बाद कार्य पूरा होने से लोगों को बाढ़ के प्रति पूरी तरह से सुरक्षित महसूस हो जाने की आश जगी थी। बढ़या, इंदरपुर, खैरा से लेकर थरौली और बेलौली में भी बांध पर बोल्डर के पि¨चग का कार्य करवाया गया परंतु निर्धारित समय सीमा के अंदर कार्य पूरा नहीं किया जा सका है। थरौली गांव की सीमा में बेलौली से लगे बांध के किनारे तथा बेलौली ¨रब बांध आदि के सामने नदी की धारा में लगाए गए पिलर में बालू की बोरियों और झांवा के स्थान पर नरकट और खरपतवार के झुरमुट भर दिए गए हैं। बेलौली में ही बांध पर बने पिच रोड पर बरसात का पानी जमा होने से चार पहिया गाड़ियों के गुजरने से बांध को क्षति पहुंच रही है परंतु इस पर किसी की नजर नहीं है। नौगों, विशुनपुर और तिवारीपुर आदि पूर्व से संवेदनशील रहे स्थानों पर अभी तक कोई कार्य ही नहीं करवाया जा सका है।

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- जलस्तर भी बढ़ना हो गया शुरू

बेलौली गांव को बचाने के लिए बने ¨रग बांध पर बोल्डर पिच करने का कार्य अभी अधूरा पड़ा हुआ है। कछार निवासी अजय तिवारी, इंगलेश दूबे, मानवेंद्र प्रताप ¨सह आदि ने कहा कि नरकट के झुरमुट तो पानी के पहले ही बहाव से बहकर किनारे हो जाएंगे इससे बाढ़ के समय में बांध की सुरक्षा की कल्पना करना अधूरी बात है। दो दिनों से हो रही बरसात के कारण नदी का जलस्तर भी बढ़ना शुरू हो गया है हलांकि अभी यह 74.4 मीटर की उंचाई तक ही है जो खतरे के निशान से काफी नीचे है। कछार निवासियों ने समय रहते तेजी से बांध की सुरक्षा के लिए प्रस्तावित कार्यो को पूरा करवाने की मांग किया है।


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