बेपानी हैंडपंप व सूखे जलाशय से जलस्त्रोत संरक्षण को झटका
संत कबीर नगर: मुख्यमंत्री जल संरक्षण योजना के तहत पोखरों में जलभराव के लिए पुख्ता व्यवस्था करने
संत कबीर नगर:
मुख्यमंत्री जल संरक्षण योजना के तहत पोखरों में जलभराव के लिए पुख्ता व्यवस्था करने का निर्देश और पेयजल जागरुकता कार्यक्रम के तहत हर गांव में प्रमाणिक हैडपंपों से पानी पीने की व्यवस्था करने पर भले ही जोर दिया जा रहा है परंतु अभी तक मौके पर इसका प्रभाव सामने नहीं दिख रहा है। दूषित पानी देने के कारण निशान लगाए जाने के बाद भी मजबूरी में ग्रामीण उसके पानी का प्रयोग करने को विवश हैं। सबसे कठिन दशा तो जलाशयों के सूखने को लेकर आ रही है जिससे भूमिगत जल का स्तर नीचे गिरने से कम घरों में लगे हैंडपंपों से पानी भी कम आ रहा है।
भूमिगत जल के स्तर को नीचे जाने से रोकने के लिए जलाशयों की खुदाई करके बरसात के पानी को एकत्र करने की योजना बनाई गई थी। छह वर्ष पूर्व से चले कार्यक्रम के तहत तहसील क्षेत्र के विकास खंडों में सैकड़ो की संख्या में तालाबों की खुदाई का कार्य पूरा किया गया। जल को सूखने से बचाने तथा ठंडा रखने के लिए किनारों पर पौधरोपण भी किया जाना था। इसके बाद गर्मी के पहले चरण में ही अधिकांश पोखरे पूरी तरह सूख चुके हैं। जानकारों का मानना है कि पोखरों के किनारों को ऊंचा कर देने से बरसात का पानी इसमें न आने से पोखरे जल्द ही सूख गए। अब मुख्य मंत्री द्वारा योजना चलाने के बाद बैठकों आदि का दौर शुरु होने से कुछ तेजी आने की उम्मीद जगी है पर जल्द क्रियान्वयन न होने से कार्य में बाधा आने से नतीजा फिर से ढाक के तीन पात हो सकते हैं। 15 जून से अमूमन बरसात शुरु होने का समय माना जाता है इसके पूर्व तालाबों में जलभराव का कार्य पूरा नहीं किए जाने पर फिर से कार्य अधूरा ही रह सकता है। जल स्त्रोत के रुप में पोखरों के बाद हैडपंपों को शामिल किया जाता है। इनका हाल तो बद से बदतर है आकंड़ों के अनुसार तहसील क्षेत्र में लगे हैडपंपों की आधी संख्या या तो सूखी पड़ी है अथवा बदबूदार पानी देने से रिबोर की राह देख रही है। इससे क्षेत्र में जल संकट गहराने की आशंका प्रबल हो रही है। क्षेत्रीय ग्रामीणों ने प्रशासन से तालाबों के जलभराव की व्यवस्था के साथ ही हैडपंपों को रिबोर कराने की मांग की है।