किसानों के अरमान टूटे, जिम्मेदार बेपरवाह
संत कबीर नगर : मौसम की क्रूर दृष्टि ने इस बार रबी की फसलों को बर्बाद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़
संत कबीर नगर :
मौसम की क्रूर दृष्टि ने इस बार रबी की फसलों को बर्बाद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा। फसलों की पैदावार अपेक्षा के अनुरूप न मिलने से किसानों के अरमान टूटे हैं। छोटे से लेकर बड़े काश्तकार सभी मायूस हैं। पैदावार के दम पर शादी विवाह जैसे अन्य जरूरी कार्य निपटाने की उम्मीद पाले किसानों के सम्मुख चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। दूसरी तरफ शासन ने फसलों के हुए नुकसान की भरपाई के लिए सर्वे की जो घोषणा की वह भी प्रशासनिक उदासीनता से गति नहीं पकड़ सकी है।
रबी की फसलों पर बेमौसम बारिश से अब तक क्षेत्र में जो तस्वीर उभर कर आई है, उसमें लगभग पचास प्रतिशत से अधिक फसल मौसम की भेंट चढ़ चुकी है। धनघटा तहसील में गेहूं की अधिकांश फसल अभी भी पानी में डूबी हुई हैं। पूरे अप्रैल माह में मौसम ने किसानों को चैन लेने का मौका नहीं दिया। मौसम की तबाही से गेहूं के साथ अरहर, चना, मसूर, मटर जैसी प्रमुख फसलों के पैदावार पर ग्रहण लग चुका है। धनघटा से दक्षिण गांवों में पिछले दिनों पत्थर गिरने से बची खुची गेहूं की फसल भी चौपट हो चुकी है। ग्राम ठकुराडाड़ी में महातम, सुभाष चौधरी, राम रक्षा चौधरी, कैलाश चौधरी, हीरावन, गिरिजा शंकर आदि किसानों के खेतों में पानी लगने से गेहूं की फसल चौपट हो गई है। अलाई चक गांव में लगभग तीन सौ बीघा गेहूं के खेतों की कटाई मड़ाई ठप पड़ी है। यहां के किसान गोकुल मौर्य, गया लाल, रामशंकर मौर्य, सुभाष, हीरालाल, मोती लाल ने बताया कि रबी की फसलों से अच्छी पैदावार लेने के ख्वाब टूट गए हैं। कटया गांव के ओमप्रकाश, दिलीप कुमार, बालेंद्र, कमलेश, जय प्रकाश, विरेंद्र आदि किसानों की नींद गायब हो चुकी है। फसलों के पैदावार का एक चौथाई हिस्?सा भी घर नहीं पहुंच सका है। इसमें कुछ ऐसे भी बदनसीब किसान हैं जो पैदावार बेच कर शादी विवाह जैसे कार्यक्रम कराने का बीड़ा उठाए थे, लेकिन मौसम ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। बड़े पैमाने पर हुई तबाही को लेकर शासन भी गंभीर हुआ। फसलों के हुए नुकसान को देखते हुए शासन ने सर्वे कराने का निर्णय लिया है। विडंबना यह कि शासन का निर्णय धनघटा तहसील क्षेत्र में कहीं नजर नहीं आ रहा। हैंसर, पौली व नाथनगर ब्लाकों में यदि देखे तो किसी भी गांव में नुकसान हुई फसलों का सर्वे नहीं हो पाया है, जब कि प्रभावित क्षेत्रों में बर्बाद फसलें तबाही की गवाही दे रही हैं। बताया जाता हैं कि फसलों के हुए नुकसान की सर्वे प्रक्रिया जिम्मेदारों द्वारा मौके पर नहीं बल्कि कार्यालयों में अभिलेखों के आधार पर निपटाने का प्रयास किया जा रहा है। क्षेत्र के अनेक किसानों ने सर्वे प्रक्रिया में बरती जा रही उदासीनता को देखते हुए बताया कि यदि कमरे में बैठकर सर्वे प्रक्रिया को अंजाम दिया गया तो सही मायने में क्षति का आंकलन करना मुश्किल होगा। इससे अनेक किसान सरकारी मदद के मोहताज बने रह सकते हैं। क्षेत्रीय किसानों का कहना है कि फसलों के नुकसान का सर्वे खेतों में पहुंच कर किया जाए तभी नुकसान का सही आकलन लगाया जा सकता है।
इस बाबत पूछने पर तहसीलदार मेवालाल ने बताया कि क्षतिग्रस्?त फसलों का सर्वे कराने के लिए प्रशासन की बैठक चल रही हैं । उन्होंने कहा कि बैठक मे जो भी निर्णय लिया जाएगा, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।