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मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ाई प्राइवेट किताबों से

संत कबीर नगर: मान्यता प्राप्त गैर सरकारी विद्यालयों में नियम कायदे भले ही सरकार के लागू हो रहे हो,

By Edited By: Published: Fri, 17 Apr 2015 10:34 PM (IST)Updated: Fri, 17 Apr 2015 10:34 PM (IST)
मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ाई प्राइवेट किताबों से

संत कबीर नगर:

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मान्यता प्राप्त गैर सरकारी विद्यालयों में नियम कायदे भले ही सरकार के लागू हो रहे हो, परंतु किताबों को लेकर तो पूरी तरह से मनमानी व्यवस्था है। इससे न सिर्फ बच्चों पर बस्ते का बोझ बढ़ता जा रहा है बल्कि अभिभावकों पर भी महंगी किताबें खरीदनी पड़ रही हैं। गैर सरकारी विद्यालयों के मनमानी पर अंकुश न लगाए जाने से अभिभावकों में आक्रोश है।

शिक्षा के प्रसार के लिए सरकार द्वारा निजी विद्यालयों को मान्यता देकर संचालन करने की अनुमति दी जाती है। यह व्यवस्था प्राथमिक स्तर की शिक्षा के लिए भी लागू है जिसके अंतर्गत अनेक विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। मान्यता पाने के लिए विद्यालय की प्रबंध समिति द्वारा सरकारी नियमों का पालन करते हुए समय का निर्धारण और प्रशिक्षित शिक्षकों की व्यवस्था करने की गारंटी दिया जाता है। सरकारी नियम केवल समय के पालन तक ही सिमटे नजर आ रहे हैं और किताबों का चयन अपने स्तर से करके पढ़ाई का कार्य किया जा रहा है। नया सत्र शुरु होते ही मोटे कमीशन के चक्कर में मनमाने रुप से प्राइवेट प्रकाशन की किताबों को लगवाया जा रहा है। खास बात यह है कि प्राइवेट विद्यालयों में अलग अलग प्रकाशन की किताबें चलाए जाने की मार बच्चों पर भारी बोझ के बस्ते के रुप में आ रहा है तो वहीं अभिभावकों को भी आर्थिक चपत भी लग रही है। केवल प्राथमिक स्तर पर यदि संचालित पुस्तकों का मूल्य देखा जाय तो औसतन पांच सौ से एक हजार रुपये की लागत आ रही है। यही नहीं एक सत्र बीतने के बाद उसी कक्षा के लिए दूसरी सत्र में अलग किताबें लगा दिए जाने से फिर इन किताबों का प्रयोग नहीं हो पाता है। यदि कुछ किताबें परिषदीय पाठयक्रम की लगाई भी जाती हैं तो इसे बाजार में न मिल पाने से अभिभावकों को दुर्गति झेलनी पड़ती है। यह व्यवस्था किसी एक क्षेत्र में नहीं बल्कि पूरे जिले में है। इसे लेकर सवाल उठता है कि यदि मान्यता सरकारी है तो फिर किताबों में भेद क्यों ? और यदि मनमाने रुप से पुस्तकों का चयन करना सही है तो फिर सरकारी मान्यता का क्या औचित्य है? मान्यता बेसिक शिक्षा परिषद की होने के बाद भी सरकारी और गैर सरकारी प्राथमिक विद्यालयों पर अलग अलग किताबों का संचलन होने को लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्षेत्रीय लोगों ने सरकारी स्तर से मान्यता प्राप्त विद्यालयों में बेसिक शिक्षा परिषद की पुस्तकों से पढ़ाई करवाने की मांग की है।


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