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बूधा कला चौराहा बना मौत का मुहाना

सुधांशु रंजन शुक्ल जागरण संवाददाता, कांटे, संत कबीर नगर : खलीलाबाद कोतवाली अंतर्गत गांव बूधा कल

By Edited By: Published: Thu, 26 Mar 2015 10:17 PM (IST)Updated: Thu, 26 Mar 2015 10:17 PM (IST)
बूधा कला चौराहा बना मौत का मुहाना

सुधांशु रंजन शुक्ल

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जागरण संवाददाता, कांटे, संत कबीर नगर : खलीलाबाद कोतवाली अंतर्गत गांव बूधा कला का चौराहा राष्ट्रीय राजमार्ग पार करने वालों के लिए मौत का मुहाना साबित हो रहा है। राष्ट्रीय राज मार्ग बनने से लेकर अब तक करीब पचास लोग यहां हुई दुर्घटना के कारण मौत के मुंह में समा चुके हैं। दुर्घटना में मौत के बाद परिवारों का करुण क्रन्दन सुनकर पत्थर दिल भी पसीज जाता है। यहां फ्लाई ओवर बनवाने के लिए ग्रामीण कई बार आंदोलन किए, लेकिन प्रशासन ने समस्या पर गौर करने के बजाय उन पर कार्रवाई का डंडा चला दिया।

राष्ट्रीय राज मार्ग के दोनों ओर बसे ग्राम पंचायत बूधा कला में बुधवार की देर शाम दो व्यक्तियों की दर्दनाक मौत के बाद सड़क पार करने वाले ग्रामीणों की ¨चता बढ़ गई है। ग्रामीणों की मानें तो पिछले दस वर्षों में पचास से अधिक लोग इस चौराहे पर दुर्घटना की चपेट में आकर काल के गाल में समा चुके हैं। इक्का-दुक्का हादसे यहां फोर लने बनने के पहले भी हुआ करते थे, किन्तु इसके बाद से बूधा कला चौराहे पर होने वाले हादसे कई गुना बढ़ गये हैं। राजमार्ग निर्माण के समय यहां के गामीणों ने फ्लाई ओवर बनाया जाना नितांत आवश्यक बताया था, ¨कतु इनकी बात नहीं सुनी गई। वर्ष 2008 में बूधा कला के 9 वर्षीय विद्यार्थी सचिन पुत्र सुभाष चन्द चौरसिया की दुर्घटना में मृत्यु पर आक्रोशित ग्रामीणों ने जब ओवरब्रिज की मांग को लेकर प्रदर्शन किया तो उनके स्वर को कुचल दिया गया। दर्जन भर लोगों के विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। आरोपियों के खिलाफ अभी भी मामला न्यायालय में चल रहा है। इस घटना के बाद ग्रामीणों के विरोध के स्वर पर पुलिसिया हनक भारी पड़ गई और उन्होंने प्राय: हो रही दुर्घटनाओं को नियति मान लिया। वर्ष 2011 में जनवरी माह में बरात में आए ग्राम जिगिना बांसखोर जनपद बस्ती के वृद्ध पंडित एवं नाई की मौत यहां हो गयी। दिसम्बर 2013 में शौच के लिए गयी बूधा कला की दो महिलाओं की एक साथ कुचलकर मौत, ग्राम बूधा कला के श्यामदेव यादव की वर्ष 2014 में हुई मौत एवं नवयुवक चन्द्रभान शर्मा की कुचलकर हुई दर्दनाक मौत दर्दनाक उदाहरण है। इसके बावजूद जिला प्रशासन ने दुर्घटना से बचाव का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया। इसके अतिरिक्त अन्य कई गांवों के लोग यहां सड़क पार करते समय अपनी जान गंवा चुके हैं। बुधवार को बूधा कला के पूर्व प्रधान प्रभूदयाल एवं एक अन्य नवयुवक अक्कड़ पुत्र लच्छू की मौत के बाद गांव में सन्नाटा है। लोग सहमे हैं और अपने बच्चों को सड़क पार स्थित जूनियर स्कूलों अथवा मुण्डेरवा स्थित विघालयों में जाने से रोक रहे हैं। अब भी प्रशासन ने यदि पार गमन हेतु ब्रिज का निर्माण नहीं कराया तो तेज रफ्तार वाहन चौराहे पर न जाने कितनी और जानों की बलि ले लेंगे, अंदाजा लगाना कठिन है।

बूधा कला चौराहे पर दुर्घटना के सवाल पर डीएम अजयदीप ¨सह ने कहा कि इस तरह की मौत दुखद है। इस तरह की दुर्घटनाओं पर अंकुश लगना चाहिए। एक सवाल के जवाब में डीएम ने कहा कि ग्रामीण की मांग जायज है। इसके लिए मै पहल करूंगा। उन्होंने बूधा कला के ग्रामीणों से किसी दिन मिलकर अपनी समस्या रखने को कहा।


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