रोटी की मजबूरी, स्कूल से दूरी
संत कबीर नगर : सरकार द्वारा 6 से 14 वर्ष की आयु सीमा के अंदर के बालक बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने
संत कबीर नगर :
सरकार द्वारा 6 से 14 वर्ष की आयु सीमा के अंदर के बालक बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके साथ ही बालश्रम रोकने के लिए कठोर कानून है। इसके बावजूद अभी भी स्कूली आयु सीमा के बालक बालिकाओं को पत्ता बीनने के कार्य में लगे हुए देखा जा सकता है। अब इसे परंपरा कहें या परिवार की मजबूरी, परंतु स्कूल जाने की उम्र में बच्चे भटकाव का शिकार हो रहे हैं।
तहसील क्षेत्र के बेलहर और नंदौर के साथ ही सांथा के अनेक गांवों में पत्ता बीनने का कार्य करते हुए अक्सर ही महिलाओं के साथ ही बच्चे दिखाई पड़ते हैं। सुबह से ही लकड़ी के विकल्प के रूप में पत्ते का प्रयोग करने की परंपरा होने से सिर पर गट्ठर लादे हुए स्कूली बच्चे दिखाई पड़ते हैं। यह परंपरा सबसे अधिक बेलहर जंगल के आसपास के क्षेत्रों में देखी जाती है। इसे लेकर सवाल उठता है कि आखिर गरीबी हटाने की योजनाओं के माध्यम से हर परिवार को अनेक प्रकार की राहत दिलाने का प्रयास किया जा रहा है तो आखिर अभी तक पत्ता बीनने की मजबूरी के पीछे कारण क्या है। इसके साथ ही सर्व शिक्षा अभियान के तहत सभी को स्कूल से जोड़ने की मुहिम को भी झटका लग रहा है। जानकारों के अनुसार पत्ता बीनने के कारोबार में मजबूरी के साथ ही पारिवारिक परंपराओं को भी जिम्मेदार बताया जाता है, परंतु विवशता को भी कारण मानने वालों की संख्या कम नहीं है। बाल श्रम कानून भले ही मजदूरी रोकने के लिए बनाया गया हो, पर उम्र के पहले ही पायदान पर सिर पर गट्ठर रखकर चलने से पढ़ने की आयु में बड़ी संख्या में बच्चों के शिक्षा की राह से भटकने से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसे लेकर सरकारी स्तर पर जागरुकता कार्यक्रम के साथ ही प्रमुख कारणों पर चिंतन करके समाधान करने की मांग तेजी से उठने लगी है।