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दीप पर्व पर जगमगा उठे गांव व शहर

संत कबी नगर: ज् च्योतिपर्व दीपावली पर गुरुवार को पूरा शहर, नगर, गांव, कस्बा झिलमिल रोशनी व प्रकाश

By Edited By: Published: Thu, 23 Oct 2014 11:02 PM (IST)Updated: Thu, 23 Oct 2014 11:02 PM (IST)
दीप पर्व पर जगमगा उठे गांव व शहर

संत कबी नगर: ज्

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च्योतिपर्व दीपावली पर गुरुवार को पूरा शहर, नगर, गांव, कस्बा झिलमिल रोशनी व प्रकाश से जगमगा उठा। शुभ मुहूर्त में धन-संपदा की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी, विघ्न विनाशक श्रीगणेश की उपासना कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। सुबह से बाजार खरीदारी करने वालों की भीड़ से पटा रहा। यह सिलसिला बर्तन, गहने, घर की सामग्री, मिठाई, फल, फूल-माला, लक्ष्मी-गणेश की मूíत की खरीदारी के साथ संपन्न हुआ। सुबह से ही फूल-मालाओं से घर,मंदिर सजने लगे। शाम को दीप जलते ही चारों तरफ प्रकाश फैल गया। लोगों ने सा“-सच्चा कर, दीप जलाकर भक्ति मय माहौल में लक्ष्मी-गणेश व विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की। पूजा पंडालो व मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। शाम ढलते ही प्रत्येक घरों में लोग दीप जलाकर उजियारा करने में जुट गए। भारी संख्या में लोगों ने रंग-बिरंगें विद्युत बल्बों व मोमबत्तियों का प्रयोग किया था, जिससे शहर, नगर, गांव प्रकाशमान बना रहा।

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खेत-खलिहान में जले दीप

-दीपावली पर्व पर किसानों ने खेत -खलिहान में दीप जलाकर कर अक्षय भंडार की कामना की। फसल उत्पादन वृदि के साथ गांव की खुशहाली की प्रार्थना की गई। इसके लिए गांव के मुख्य मार्ग पर भी दीप जलाएं गए।

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मंदिर हुए जगमग

- घरों में गृहणियों ने पूजन के पश्चात मंदिर में जाकर दर्शन किया। मंदिर में घी के दिये जलाकर सुख, समृद्वि की प्रार्थना की गई। मंदिर में सायं काल से शुरु हुआ पूजन-अर्चन का सिलसिला देर रात तक जारी रहा। शहर में समय माता मंदिर, दुर्गा मंदिर, हनुमान गढी, लक्ष्मी नारायण मंदिर, रामनगर, गायत्री मंदिर, हनुमान मंदिर सहित जनपद के विभन्न मंदिरों में श्रद्धालुओं ने पूजन करके दीप जलाया।

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उन्नति का जागरण

- दीपावली पर उत्साह, उमंग छायी रही। शिक्षा-दीक्षा के साथ आíथक क्रिया -कलापों का जागरण किया गया। व्यवसाय, दैनिक दिनचर्या को सुव्यवस्थित करने हेतु उनको जागृति किया। परंपराओं को जीवंत रखने हेतु मंगलमयी कामना की।

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रंग-बिरंगी सजावट

- घर-परिवार, विभिन्न स्थानों,व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, संस्थानों में सजावट की छटा देखते ही बन रही थी। दीप मालिके के आगमन का स्वागत में आम पल्लव, तोरण द्वार, पुष्प -माला तो रज्गोली बनाकर सच्जा की गई थी। इसके साथ ही रंग -बिरंगे विद्युत बल्वों से जगह-जगह सजावट की गई थी।

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पौध रोपण

-दीप पर्व पर अनेक स्थानों पर लोगों ने स्वास्थ्य रक्षा व निरोगमय जीवन के लिए आंवले के वृक्ष का रोपण किया। आदर्शों की शपथ लेकर श्रेष्ठ आचरण, समरसता, ज्ञान,ज्ज्वकास का दीप प्रच्च्वलित करने का संकल्प लिया। परिवार जनों, सगे-संबंधियों, चिर-परिचितों के सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य रक्षा की मंगलमयी कामना की।

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पटाखा फूटा, हुई आतिशबाजी

-दीपावली पर्व पर पटखा फोडने का सिलसिला देर रात तक जारी रहा। सायं काल दीप जलने से पूर्व ही पटाखा की आवाज गूंजने लगी। अनेकों लोगों में पटाखा न फोडने का संकल्प लिया था, पर्व पर कुछ स्थानों पटाखा का परहेज देखने को भी मिला। पटाखों की मंहगाई, लाइसेंस का अभाव तथा पटाखों से होने वाली नुकासर से इस बार पटाखों की बिक्री कम रही।


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