मजदूरों का गांव से पलायन मजबूरी
संत कबीर नगर :
केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मजदूरों को रास नहीं आ रहा है। इसमें उनको काम की गारंटी के न पूरा हो पाने की शिकायत है, तो कई मजदूरी कम मिलने की पीड़ा भुगतने को मजबूर है।
गांव से मजदूरों का शहरों की तरफ पलायन थामने के लिए उनको गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने वाली मनरेगा पर पंचायतों की निधि में हर साल करोड़ों की रकम पहुंचती है। लेकिन काम पाने की राह इनके सामने इतनी कठिन हैं कि मजदूर इस योजना से तौबा करने लगे हैं। वहीं इस योजना से कई शिकायतें भी हैं। लोगों का कहना है कि योजना ने एक ओर गांवों में खेती के लिए मजदूरी बढ़ा दी, तो दूसरी ओर उनकी कमी भी दिखा दिया। स्थिति यह है कि खेती के लिए जब मजदूरों की जरूरत होती है, तो खोजने पर भी नहीं मिलते हैं। मजदूरों की कमी झेल रहे किसान इस दुर्गति का कारण मनरेगा को ही बताते हैं। इनसेट-
मजदूरों ने सुनाई पीड़ा
ग्रमाीण मजदूर रमेश, दिवाकर, सुरेश, रेंगई, अब्दुल्लाह समेत कई किसान कहते हैं मनरेगा में किसानों व मजदूरों का संबंध ही खतरे में डाल दिया है। क्षेत्र में बड़ी जोत कम लोगों के पास है। बड़ी जोत वाले किसान हर काम मजदूरों से ही कराते हैं। फसल की कटाई, मड़ाई आदि काम भी मजदूर ही करते हैं। लेकिन जबसे मनरेगा आई तब से खेती में मजदूरों की काफी कमी दिखने लगी है।