अभी तक पूरा नहीं हुआ रेल से सफर का सपना
संत कबीर नगर :
जिले के उत्तरी क्षेत्र को रेल से जोड़ने की बात लंबे सयम से हो रही है। न्यायालय से लगायत जनता की अदालत में कई बार मुद्दा बनने के बाद भी इस मामले में लोगों को निराशा ही हाथ लगी। अब तक सिर्फ सर्वे को छोड़कर इस दिशा में कोई और प्रयास नहीं किया जा सका है। वर्तमान चुनाव में यह एक प्रमुख मुद्दा बनकर उभर रहा है।
उल्लेखनीय है कि जिले में रेल लाइन बिछाने के लिए सबसे पहले वर्ष 1977 में तत्कालीन केन्द्र सरकार द्वारा खलीलाबाद- बलरामपुर रेल लाइन के लिए सर्वे का कार्य कराया गया था। सर्वे के अनुसार उक्त रेल मार्ग की लंबाई लगभग 145 किमी मानी गई थी। इसमें मेहदावल, बखिरा, बांसी आदि में स्टेशन भी बनाए जाने थे। सर्वे के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बाद क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों द्वारा कई बार रेल मंत्रालय का ध्यान खींचने का प्रयास किया गया, परंतु नतीजा सिफर रहा। क्षेत्र में रेल की मांग को लेकर रेलवे लाओ संघर्ष समिति बनी। इसके अध्यक्ष कमाल अहमद सिद्दीकी ने मांग पत्र और हस्ताक्षर युक्त पत्र भेजने के बाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। याचिका के जवाब में पूर्वोत्तर रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक ने वर्ष 2011-12 में सर्वे की मंजूरी दे दी तो क्षेत्रवासियों के मन में सपनों की रेल दौड़ने लगी थी। इसके बाद रेलवे के अभियंता के नेतृत्व में एक टीम द्वारा खलीलाबाद से सर्वे का कार्य भी शुरु किया गया। इसी बीच रेल बजट आने की आहट से इसके स्वीकृत हो जाने की आस जगी। लेकिन बजट में कोई प्रावधान न होने से एक बार फिर रेल का सपना टूट गया। ध्वस्त सड़कों पर आवागमन की मार झेल रहे क्षेत्र में अबकी बार चुनावी चौपालों पर रेल लाइन की मांग भी तेजी से उठने लगी है। केंद्र में बनने वाली नई सरकार के सामने अपने प्रतिनिधि से लोग रेल लाइन के लिए आवाज बुलंद करने की आस लगाकर पहले ही सबको सचेत कर रहे हैं।