सुविधाओं के अभाव में बंदी के कगार पर बुनकरी
संत कबीर नगर :
स्थानीय तहसील का रुस्तमपुर बुनकर बाहुल्य गांव है। बुनकर कच्चे धागे की रंगाई के बाद तैयार कपड़ा बेचकर अपने परिवार की परवरिश करता था। विडंबना है कि सरकारी सुविधा न मिलने इनका व्यवसाय बंद होने के कगार पर पहुंच गया। जिसके चलते अब इनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
उल्लेखनीय है कि धनघटा तहसील के रुस्तमपुर में बुनकरों के लिए सरकारी सुविधाएं नाकाफी साबित हो रही हैं। बुनकर कासिम का कहना है कि जिस समय सपा की सरकार प्रदेश में बनी, उस समय बुनकरों के सुविधाओं की खूब चर्चा हुई, लेकिन दो साल बीतने के बाद भी शासन से किसी तरह का सहयोग नहीं मिला। परिणामस्वरूप कारोबार बंदी के कगार पर पहुंच गया है। कच्चा सूत महंगा होने के कारण कपड़ा तैयार करना कठिन हो गया है। शाह मुहम्मद का कहना है कि यहां से तैयार कपड़ा व चादर बलिया, बिहार, देवरिया, आजमगढ़ तक जाता था, लेकिन अब किराया व सूत महंगा होने के कारण दूर का बाजार करना बंद करना पड़ा। मुनीर का कहना है कि मुसलमानों के लिए किसी सरकार ने कुछ नहीं किया वहीं सगीर कहते हैं कि सर्वाधिक समस्या गांधी आश्रमों के बंद होने के कारण आई है। कच्चा सूत खरीदने के लिए सिकरीगंज जाना पड़ता है। सही समय पर सूत न मिलने से पलायन करना मजबूरी हो गई है।
इस बाबत पूछने पर एसडीएम आरडी पांडेय ने बताया बुनकरों के बदहाली की जानकारी नहीं है। पता कर हर संभव सहयोग दिलाने की व्यवस्था की जाएगी।