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इतिहास के ठिकानें बनें पिकनिक स्पाट

By Edited By: Published: Mon, 24 Jun 2013 10:14 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jun 2013 10:14 PM (IST)
इतिहास के ठिकानें बनें पिकनिक स्पाट

संत कबीर नगर:

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छुट्टियों का भरपूर लुत्फ उठाने के लिए इन दिनों जिले के ऐतिहासिक स्थल बच्चों के पिकनिक स्पाट बने हुए हैं। दूर-दराज की महंगी यात्रा एवं व्यस्त दिनचर्या को देखते हुए अभिभावकों ने भी बीच का रास्ता निकाल लिया है। ऐसे में आये दिन कबीर चौरा, तामेश्वरनाथ धाम व बखिरा झील आदि स्थानों पर लोगों की भीड़ देखी जा रही है।

जनपद मुख्यालय से करीब सात किमी. पूर्वी हिस्से में स्थित सद्गुरु कबीर चौरा पर मजार व निर्वाण स्थली तथा इससे सटे पार्क में बच्चों को मनोरंजन का अवसर तो मिलता ही है, बड़े लोग भी यहां आने के बाद शांति महसूस करते हैं। इसी से सटा उद्यान केन्द्र तथा उसमें दुर्लभ प्रजाति के पौधे भी आगंतुकों के आकर्षण का केन्द्र बनते हैं। हालांकि यह उद्यान विभाग द्वारा उपेक्षित कर दिया गया है, लेकिन यहां के अवशेष उद्यान के समृद्धि शाली अतीत को बखूबी बयां करते हैं। इन दिनों बच्चों के स्कूलों में छुट्टियां होने से अभिभावक सुबह-शाम मासूमों के साथ अक्सर देखे जा रहे हैं।

इसी क्रम में ऐतिहासिक तामेश्वरनाथ धाम भी बच्चों का पिकनिक स्पाट बना हुआ है। आध्यात्म एवं संस्कृति के संवाहक के रूप में मशहूर इस स्थान पर ज्यादातर तो शिव भक्त ही आते हैं, किंतु इन दिनों परिवारों की आमद बढ़ गयी है। तामेश्वरनाथ धाम का जलाशय तथा मंदिर की ऊंची दीवारें बच्चों को भरपूर लुभा रही हैं। सुबह के वक्त जहां पूजा-पाठ करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होती है, वहीं शाम के वक्त आस-पास कस्बों व बाजारों के स्कूली बच्चे जुटते हैं।

जिला मुख्यालय से उन्नीस किमी. दूर उत्तरी हिस्से में स्थित ऐतिहासिक बखिरा झील भी गर्मी की छुट्टी में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यहां आने वाले बच्चों में विशेषकर झील की उत्पत्ति को लेकर अच्छी-खासी जिज्ञासा बनी रहती है। किवदंती के अनुसार किसी वक्त बखिरा झील एक खूबसूरत नगर हुआ करता था, लेकिन प्राकृतिक व भौगोलिक कारणों से वह झील में परिवर्तित हो गया। शासन ने इस स्थल को राष्ट्रीय पक्षी विहार घोषित कर रखा है। यहां आने वाले बच्चों को झील के ऊपर उड़ते परिंदों की खूबसूरत छटा अक्सर देखने को मिल जाया करती है। लेकिन यहां अव्यवस्था से लोग आकर परेशान भी होते रहते रहते है। जानकारों की माने तो पर्यटन स्थल घोषित होने के साथ ही यदि बखिरा झील का सुन्दरीकरण कराया गया होता तथा पर्यटक सुविधाएं मुहैया हुई होती तो यह स्थान वर्तमान में प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल होता। फिर भी बखिरा झील की ऐतिहासिक महत्ता इन दिनों मासूमों के लिए पिकनिक स्पाट बनी हुई है।

डा. आत्रेश कुमार सिंह, श्याम मिश्रा, मेजर भागी प्रसाद, ओंकार नाथ पांडेय, शिक्षक हरिनारायण, डीपी दीक्षित, मलय कुमार पांडेय, डा.मंजुल ज्योति वर्मा, दीन दयाल मिश्रा, सुनील दूबे, नारायण तिवारी, पारुन श्रीवास्तव, गायत्री ने बताया कि गर्मी की छुट्टियों को लेकर बच्चों में साल भर से उत्साह बना रहता है। स्थानीय अभिभावकों की माने तो वर्तमान महंगाई के दौर में हिल स्टेशनों पर जाकर पिकनिक मनाना संभव नहीं है, इससे आस-पास के ऐतिहासिक स्थल ही इस जरूरत को पूरा कर रहे हैं।

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