युवाओं की सहभागिता से उठेगा महिला शिक्षा का स्तर
चन्दौसी : सबको तरक्की का लाभ देने के लिए शिक्षा के विकास के लिए तमाम जतन किए जा रहे हैं। ऐसे में साम
चन्दौसी : सबको तरक्की का लाभ देने के लिए शिक्षा के विकास के लिए तमाम जतन किए जा रहे हैं। ऐसे में सामाजिक उद्यमशीलता स्थाई सामाजिक बदलाव का सबसे बड़ा जरिया साबित हो रही है। पिछले एक दशक से देश में बदलाव का यह जरिया बहुत तेजी से बढ़ा है। खास बात यह है कि इसमें युवाओं ने गहरी रुचि दिखाई है। सम्भल जनपद में भी सामाजिक उद्यमों के जरिए शिक्षा के माध्यम से स्वास्थ्य, कचरा प्रबंधन, जल स्वच्छता समेत महिलाओं, बच्चों और बुजर्गो से संबंधित कई समस्याओं को हल किया जा रहा है। युवाओं के साथ अन्य वर्ग के लोग भी सहभागिता निभा रहे हैं। जनपद में महिला शिक्षा पर अभी काम करने की जरूरत है। जिले में साक्षर पुरुषों का फीसद जहां 69.87 फीसद है वहीं महिलाओं का 30.13 फीसद है। इस लिहाज से महिलाओं की शिक्षा पर काम करने की जरूरत है।
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परिषदीय विद्यालयों में भी हो रही कान्वेंट स्कूलों जैसी पढ़ाई
- टाई-बेल्ट और आइकार्ड लगाकर स्कूल आते हैं बच्चे
- अंग्रेजी की शिक्षा पर ज्यादा जोर दे रहे अध्यापक
जागरण संवाददाता, चन्दौसी : अभिभावकों का मानना है कि परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। काफी हद तक यह बात सच भी है लेकिन जनपद के कुछ परिषदीय विद्यालय ऐसे हैं जो कान्वेंट स्कूलों की तर्ज पर चल रहे हैं। उन विद्यालयों में बच्चे टाई-बेल्ट और आइ कार्ड लगाकर आते हैं। इन स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता में भी काफी सुधार आया है। खास बात तो यह है कि शिक्षक बच्चों को अंग्रेजी ज्ञान पर भी जोर दे रहे हैं। टाई-बेल्ट व आइकार्ड का खर्च भी कुछ शिक्षक मिलकर वहन करते हैं। परिषदीय विद्यालयों में भले ही तमाम योजनाएं संचालित हैं। निश्शुल्क ड्रेस और किताबों के साथ ही भोजन भी मुहैया कराया जाता है। इसके बावजूद छात्र संख्या काफी कम है, क्योंकि अभिभावकों के अनुसार उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही है। लेकिन कुछ जगह ऐसा नहीं है। जनपद के कई परिषदीय विद्यालयों में कान्वेंट स्कूलों की तर्ज पर पढ़ाई कराई जाती है। बच्चे यूनिफॉर्म में आते हैं और रोजाना करीब 80 प्रतिशत उपस्थिति भी रहती है। ऐसे स्कूलों को विभाग ने आदर्श स्कूलों का नाम दिया है। बनियाखेड़ा ब्लाक के प्राइमरी विद्यालय कंथरी, रामरायपुर, कोकावास, फतेहपुर ढाल, आटा, मौलागढ़, पतरौआ, खटैटा आदि गावों के प्राथमिक विद्यालय आदर्श स्कूल में शामिल हैं। इसके अलावा सम्भल ब्लाक के गुलालपुर जाटो वाला, सदीरनपुर, असमोली ब्लाक के गुमसानी गाव में स्थित विद्यालय आदर्श स्कूल में शामिल हैं। पढ़ाई पर भी शिक्षकों का ध्यान ज्यादा रहता है।
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शिक्षा की दृष्टि से जनपद सम्भल-
- जनपद में साक्षर व्यक्तियों की संख्या- 5,21,294
- साक्षर पुरुषों की संख्या- 3,64,222 ( 69.87 फीसद)
- साक्षर महिलाओं की संख्या- 1,57,072 (30.13 फीसद)
- जनपद में साक्षरता का फीसद- 59.70
- जनपद में प्राथमिक स्कूलों की संख्या- 1457
- जनपद में उच्च प्राथमिक स्कूलों की संख्या- 619
- माध्यमिक स्कूलों की संख्या- 180
- महाविद्यालयों की संख्या- 06
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छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में सहयोग कर रही लाइब्रेरी
- गरीब बच्चों को पढ़ाई के लिए निश्शुल्क दी जाती हैं किताबें
जागरण संवाददाता, चन्दौसी : स्वामी भूमानंद ट्रस्ट द्वारा संचालित लाइब्रेरी और वाचनालय गरीब छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में सहायक साबित हो रहा है। पिछले दस साल से संचालित इस लाइब्रेरी का लाभ चार हजार से अधिक छात्र-छात्राएं उठा चुके हैं। उन्हें पढ़ाई के लिए निश्शुल्क किताबें दी जाती हैं। शिक्षा सत्र खत्म होने के बाद वे किताबों को वापस लाइब्रेरी में जमा कर देते हैं।
आज के इस दौर में बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो रहा है। गरीब परिवार तो बच्चों की किताबें भी नहीं खरीद पाते हैं, जिससे उनके बच्चे पढ़ाई से वंचित हो जाते हैं। ऐसे ही बच्चों को खास सहयोग दे रहा है स्वामी भूमानंद सेवा ट्रस्ट, जो सर्वसमाज के गरीब बच्चों की पढ़ाई में सहयोग कर रहा है। शक्तिनगर मुहल्ले में ट्रस्ट द्वारा मदन दीक्षित की स्मृति में वर्ष 2006 से लाइब्रेरी और वाचनालय संचालित किया जा रहा है। इस लाइब्रेरी में यूपी बोर्ड की कक्षा-नौ से 12 तक की सभी विषयों की किताबें उपलब्ध हैं। खास बात तो यह है कि इस लाइब्रेरी का अवकाश नहीं होता। इसके खुलने का समय सुबह सात से दस व शाम को पाच से सात बजे है। ट्रस्ट के सदस्य केजी शर्मा ने बताया कि इस लाइब्रेरी में करीब चार लाख से अधिक रुपये की किताबें हैं। कोर्स बदलने पर किताबों को उसी के अनुसार अपडेट भी किया जाता है।
ऐसे मिलती हैं किताबें
चन्दौसी : कक्षा नौ से 12 तक के जिन छात्र-छात्राओं को किताबें चाहिए, उन्हें नियमानुसार किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं। छात्र-छात्राओं को लाइब्रेरी से एक फार्म लेना होता है, उसे भरने के बाद ट्रस्ट के दो सदस्य से हस्ताक्षर कराने होते हैं। जिस स्कूल में छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं, वहा से प्रमाणित भी कराना होता है। फार्म के साथ आइडी प्रूफ भी जमा करने पर किताबें मिल जाती हैं।
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पुस्तकालय में निश्शुल्क सेवा दे रहे पीसी शर्मा
- पिछले दस साल से बच्चों की पढ़ाई में भी कर रहे मदद
- नौकरी के समय से ही मन में था समाजसेवा का जज्बा
जागरण संवाददाता, चन्दौसी : आजकल लोग अपने बच्चों के भविष्य के बारे में ही ध्यान देते हैं लेकिन रेलवे से सेवानिवृत्त पीसी शर्मा अन्य बच्चों का भविष्य भी उज्जवल बनाने में सहयोग कर रहे हैं। वह पिछले दस साल से पुस्तकालय एवं वाचनालय को निश्शुल्क सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब वह नौकरी करते थे तभी से उनके मन में समाज सेवा का जज्बा उत्पन्न हो गया था। उन्होंने सोच लिया था कि सेवानिवृत्त होने के बाद दूसरों की सेवा में समय लगाएंगे। उन्होंने सोचा क्यों न देश के भविष्य यानी बच्चों को उनकी पढ़ाई में सहयोग किया जाए। बस तभी से वह रोजाना बच्चों को पाच घटे का समय दे रहे हैं। इतना ही नहीं वह बच्चों की पढ़ाई में भी उनका सहयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा करने से उन्हें आत्मिक शांति मिलती है।