पुष्टाहार में हो रहा बंदरबांट
सम्भल। सरकार ने गर्भवती महिलाओं व बच्चों को स्वस्थ्य बनाने के लिए नियमित पुष्टाहार उपलब्ध कराने की व्यवस्था की हुई है लेकिन यह पुष्टाहार उनतक नहीं पहुंच पा रहा। इसका कारण है पुष्टाहार का बंदरबांट होना। यह सुनकर आपको हैरानी जरूर हुई होगी लेकिन पवांसा सीडीपीओ कार्यालय की स्थिति यहीं बयां कर रही है। आरोप है कि यहां पर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों से बिना सुविधा शुल्क लिए पुष्टाहार नहीं उठाने दिया जाता। यह कहानी खुद आंगनबाड़ी कार्यकत्री दबी जुबान में बयां कर रही हैं लेकिन उन्हें विभागीय अधिकारियों द्वारा कार्रवाई किए जाने का डर भी सता रहा है।
बता दें कि तहसील क्षेत्र के ब्लाक पवांसा में 270 आंगनबाड़ी केंद्र पर 253 आंगनबाड़ी कार्यकत्री तैनात हैं। इस माह सीडीपीओ कार्यालय से महिलाओं के लिए पुष्टाहार के 1270 बैग, सात माह से तीन वर्ष तक के बच्चों के लिए 2382 बैग तथा तीन साल से छह वर्ष तक के बच्चों के लिए 1515 बैग पुष्टाहार का लक्ष्य है। वर्तमान में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां पुष्टाहार उठाने के लिए कार्यालय पर पहुंच रहीं है लेकिन यह पुष्टाहार बिना सुविधा शुल्क के नहीं उठवाया जा रहा और प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकत्री से सुविधा शुल्क वसूला जा रहा है। अगर आंगनबाड़ी कार्यकत्री सुविधा शुल्क नहीं देती है तो उसे पुष्टाहार भी नहीं दिया जा रहा है। विभाग द्वारा सुविधा शुल्क लेने की बात आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां भी दबी जुबान में बयां कर रही है लेकिन उन्हें विभागीय अधिकारियों द्वारा कार्रवाई का डर सता रहा है। ऐसे में आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुष्टाहार उठाकर तो ले जा रही हैं लेकिन यह बच्चों व महिलाओं तक नहीं पहुंच रहा । पुष्टाहार को बेच दे रही हैं और बच्चों व महिलाओं को मिलने वाला पुष्टाहार पशुओं का निवाला बन रहा है। इतना ही नहीं, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मिलने वाला मिड डे का पैसा भी पूरा नहीं मिलता। यह खेल पवांसा ब्लाक में लंबे समय से चल रहा है। ऐसा नहीं है कि इस खेल की जानकारी जिला स्तरीय अधिकारियों को न हो लेकिन वह भी अंजान बने बैठे हैं।