सहारनपुर जातीय हिंसा को लेकर अफसरों के सिर फोड़ा ठीकरा, भाईचारे का संकल्प
सहारनपुर के लोगों ने बवाल के लिए पुलिस-प्रशासन को ही जिम्मेदार ठहराया। बाद में शांतिपूर्ण ढंग से साथ-साथ रहने का संकल्प लिया।
सहारनपुर (जेएनएन)। गांव शब्बीरपुर में जातीय हिंसा के बाद अब माहौल को सामान्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है। सरकारी मशीनरी ने दलित और ठाकुर बिरादरी के लोगों की पहले अलग-अलग बैठक की। इसके बाद शांति बहाली के के लिए संयुक्त रूप से बैठक का आयोजन किया गया। पंचायत में दोनों ही पक्षों के जिम्मेदार लोगों ने बवाल के लिए पुलिस-प्रशासन को ही जिम्मेदार ठहराया। बाद में उन्होंने शांतिपूर्ण ढंग से साथ-साथ रहने का संकल्प लिया।
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गांव शब्बीरपुर की आबादी करीब 4500 है। ठाकुरों व दलितों की संख्या बराबर है। फिलवक्त गांव में सिर्फ महिलाएं, बच्चे या बुजुर्ग ही बचे हैं। सभी युवा गांव से गायब हैं। दोनों पक्षों के बीच तनाव व गुस्सा शांत करने के लिए सरकारी मशीनरी ने प्रयास शुरू कर दिया है। गुरुवार को सीओ बागपत अजय कुमार शर्मा और इंस्पेक्टर मिर्जापुर विंध्याचल तिवारी ने बारी-बारी से दलित व ठाकुरों के बीच जाकर उनकी नब्ज टटोली। किसी तरह उन्हें प्राथमिक विद्यालय में आयोजित संयुक्त बैठक में आने के लिए राजी किया। बैठक में पहुंचे दलित पक्ष के लोगों ने कहा कि इस बवल की असल जड़ गूंगे-बहरे अफसर हैं। स्पष्ट किया कि 14 अप्रैल को ग्राम प्रधान रविदास मंदिर में बाबा साहब की प्रतिमा स्थापित करना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन डीएम एमएस कमाल के आदेश के बाद पुलिस ने प्रतिमा की स्थापना नहीं होने दी। दूसरी तरफ ठाकुर पक्ष ने आरोप लगाया कि पांच मई को शब्बीरपुर में निकाले जा रहे जुलूस में प्रशासन ने समुचित सुरक्षा प्रदान नहीं की। इसके चलते बवाल हुआ। बैठक में दोनों पक्षों ने खड़े होकर अब झगड़ा न करने का संकल्प लिया।
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हमलावरों पर खून सवार था
सहारनपुर के शब्बीरपुर में बसपा सुप्रीमो मायावती की सभा के बाद राजी-खुशी घर को लौट रहे हम लोगों पर अचानक हमलावर टूट पड़े। उनके सिर पर तो जैसे खून सवार था। दौड़ा-दौड़ा कर मारा-पीटा। तलवारों से वार किए। यह आपबीती जिला चिकित्सालय में उपचाराधीन उन घायलों की है, जिन्हें मंगलवार को उपद्रवियों ने निशाना बनाया था। एक दर्जन के करीब घायल जिला चिकित्सालय में भर्ती हैं। घायलों का हाल जानने गुरुवार को जागरण टीम पहुंची तो सबका दर्द जुबान पर आ गया। शब्बीरपुर के इंद्रपाल ने बताया कि मंगलवार को बसपा अध्यक्ष मायावती के जाने के बाद अचानक उपद्रवी मारकाट पर उतारू हो गए। हमले में उन्हें भी गंभीर चोटें आई हैं। शब्बीरपुर के टिंकू ने कहा कि गांव में पहले हुए झगड़े के बाद हालात सामान्य हो गए थे। मंगलवार को कुछ लोगों ने फिर से माहौल बिगाड़ दिया। हलालपुर के नरेंद्र का कहना था कि हमलावरों ने जानलेवा हमला किया। गनीमत रही कि जान बच गई। भाऊपुर कीर्तन का कहना है कि बचकर निकलने का मौका भी नहीं मिला। उनके ऊपर धारदार हथियारों से वार किए गए।