अतिक्रमण व कब्जे की भेंट चढ़ रही पुरातत्व विभाग की धरोहर
तीतरों : पुरातत्व विभाग की धरोहर हुलास का खेड़ा विभाग की उदासीनता के चलते अवैध कब्जे और अतिक्रमण की च
तीतरों : पुरातत्व विभाग की धरोहर हुलास का खेड़ा विभाग की उदासीनता के चलते अवैध कब्जे और अतिक्रमण की चपेट में है। ग्रामीणों का आरोप है की विभाग के लोग सबकुछ जानने के बाद भी इससे अनजान बने है।
नगर से 3 किलोमीटर दूरी पर मनोहरा गांव के निकट स्थित हुलास खेड़ा का आकार अब सिकुड़ता जा रहा है, क्योंकि पुरातत्व विभाग के इस संरक्षित खेड़े की जगह पर कुछ लोगों ने राजनीतिक संरक्षण के चलते अपने आवास बना लिए तो कुछ ने इसकी जमीन को अपने खेतों में मिला लिया है। गाव के पूर्व बुजुर्ग प्रधान चौ. हुकम ¨सह ने बतया की अब से लगभग 40 वर्ष पूर्व जब यहां से खुदाई के दौरान सिंधु कालीन सभ्यता से मिलते जुलते मिट्टी के बर्तन और धातु के औजार मिले थे जो आज भी दिल्ली के संग्राहालय में मौजूद हैं, आगे का काम अधूरा रह गया तो विभाग ने इस क्षेत्र को संरक्षित घोषित कर दिया था। उस समय इसकी जमीन लगभग 60 बीघा थी जो अब घट कर मात्र एक टीले में रह गई। उन्होंने बतया कि लगभग 10 वर्ष वे प्रधान रहे तो किसी को इस पर कब्जा नहीं करने दिया। बाद में राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते इस पर कुछ लोगों के घर अवैध रूप से बनवा दिए। यही नहीं विद्युत निगम ने भी इसकी जमीन पर बिजली घर बनवा दिया। जिसका उद्घाटन भी अगस्त 2016 में हो गया। पूर्व प्रधान चौ. सुभाष का यह मानना है कि ऐतिहासिक महत्व की यह धरोहर अब अतिक्रमण की चपेट में हैं।
पुरातत्व महत्व के इस खेड़े का पूरा ब्यौरा सहारनपुर की इतिहास पुस्तक में भी दर्ज है। ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग को इस पर अतिक्रमण की पूरी जानकारी है, लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से विमुख है, जिसके चलते यह धरोहर अब विलुप्त होती जा रही है।