गलती पर गलती करते गए सहारनपुर के अफसर: गृह सचिव
सहारनपुर के हालात सामान्य की ओर हैं। हालांकि तनाव बरकरार है। गृह सचिव एमपी मिश्रा ने कहा स्थानीय अफसर लगातार गलती पर गलती करते चले गए।
सहारनपुर (जेएनएन)। जातीय हिंसा में जले सहारनपुर के हालात सामान्य होने लगे हैं। 48 घंटे से कोई अप्रिय घटना नहीं घटी है। हालांकि तनाव बरकरार है। गृह सचिव एमपी मिश्रा ने कहा है स्थानीय अफसर लगातार गलती पर गलती करते चले गए। प्रशासन ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को शब्बीरपुर आने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया। मुख्यमंत्री द्वारा गठित आला अफसरों के जांच दल ने राजनीतिक षड्यंत्र को सहारनपुर में जातीय हिंसा की खास वजह बताया है। जांच दल के मुखिया गृह सचिव एमपी मिश्रा ने भी इस पर मुहर लगाई है लेकिन, लापरवाही के मुद्दे पर वह स्थानीय अफसरों को भी कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।
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जातीय हिंसा के पीछे राजनीतिक षड्यंत्र
सहारनुपर में पत्रकारों से बातचीत में गृह सचिव ने कहा कि सहारनपुर में जातीय हिंसा के पीछे राजनीतिक षड्यंत्र के साथ पुलिस-प्रशासन की भी बड़ी चूक रही है। यह सवाल हर किसी की जुबान पर है कि देखते ही देखते सहारनपुर कैसे और क्यों जल उठा ? शब्बीरपुर गांव में दलित समुदाय रविदास मंदिर परिसर में अंबेडकर प्रतिमा लगाना चाहता था। इसकी शिकायत मिलने पर डीएम ने मौका-मुआयना नहीं कराया, बल्कि दलितों को बिना विश्वास में लिए थानाध्यक्ष को फोन कर प्रतिमा लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया।
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शासनादेश के विपरीत दी अनुमति
प्रशासन ने दलितों को प्रतिबंध की कोई वजह नहीं बताई और न ही आगे के लिए कोई रास्ता सुझाया। इसे लेकर दलित समाज में रोष पनपता गया। इस मामले में जांच के बाद दोषी अफसरों पर कार्रवाई की जाएगी। गृह सचिव ने कहा कि शासनादेश में स्पष्ट है कि किसी नए कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जाएगी, बावजूद इसके एसडीएम रामपुर मनिहारन ने पां मई को शिमलाना में हुए कार्यक्रम की अनुमति दे दी। अनुमति दी थी तो नियमानुसार सुरक्षा-व्यवस्था के लिए लिखना चाहिए था। लापरवाही से पांच मई को शब्बीरपुर में बवाल हुआ।
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उच्चाधिकारी भी किये गुमराह
एमपी मिश्रा ने नाराजगी जाहिर की कि शब्बीरपुर की घटना के बाद सहारनपुर में लखनऊ से आए उच्चाधिकारियों के समक्ष स्थानीय पुलिस व प्रशासन ने सही तस्वीर पेश नहीं की। यही कारण रहा कि 9 मई को भीम आर्मी ने दलितों पर हो रहे अत्याचार पर महापंचायत बुलाई। जब महापंचायत की अनुमति नहीं दी गई थी तो शहर में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था करनी चाहिए थी, लेकिन नहीं की। नतीजतन, उपद्रवियों ने जमकर कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई। भीम आर्मी के मुखिया से लेकर कई उपद्रवियों पर कठोर कार्रवाई न करना पुलिस की बड़ी विफलता रही। सोशल मीडिया ने आग में घी डालने का काम किया। प्रशासन अनजान बना रहा। इंटरनेट सेवा बंद करा देनी चाहिए थी। हिंसा में प्रयुक्त शस्त्र कहां से आए? इसकी भी जांच नहीं हुई।
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माया के आगमन पर भी चूक
गृह सचिव ने स्वीकार किया कि पुरानी गलतियों से सबक न लेते हुए पुलिस-प्रशासन ने बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को शब्बीरपुर गांव में कार्यक्रम की अनुमति दे दी, पर मानक के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई। मार्गों पर सीओ व मजिस्ट्रेट की तैनाती होनी चाहिए थी। सचल दल को सक्रिय किया जाना था। इसी ढिलाई से 23 मई को घटना हुई। श्री मिश्रा ने कहा कि नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी को विशेष अभियान चलेगा। जेल भेजे बेकसूरों को बाहर लाने के लिए एडीजी मेरठ को जांच के लिए कहा गया है।
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रावण की गिरफ्तारी तक इंटरनेट बंद
गृह सचिव ने बताया कि भीम आर्मी का मुखिया चंद्रशेखर उर्फ रावण पिछले एक साल से सहारनपुर के साथ आसपास के जनपदों व राज्यों में भी नफरत फैला रहा है। विभिन्न जांच में साबित हो चुका है कि नौ मई को सहारनपुर में आठ स्थानों पर हुई ङ्क्षहसा में वह मुख्य आरोपी है। अब वह पाताल में भी छिप जाए, उसकी गिरफ्तारी जरूर होगी। रावण की गिरफ्तारी तक सहारनपुर में इंटरनेट सेवाएं बंद रहेंगी, क्योंकि चन्द्रशेखर सोशल मीडिया पर युवकोंं को उत्तेजित करने का मास्टरमाइंड है। पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए शुक्रवार को उसके समर्थन में दिल्ली में प्रदर्शन हुआ। उसकी गिरफ्तारी के लिए कई टीमें दिल्ली समेत सात स्थानों पर हैं। भीम आर्मी को कौन दल या नेता आर्थिक मदद करता था, किसके इशारे पर उसने जातीय ङ्क्षहसा की आदि 13 बिन्दुओं पर जांच चल रही हैं। मददगार नेता अलग-अलग दलों से हैं। उनका मकसद आसन्न चुनाव के दृष्टिगत लाभ के लिए दलितों को गुमराह करना रहा है।
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प्रशासनिक लापरवाही से हिंसा : रीता
बिजनौर में मातृ एवं शिशु, परिवार कल्याण तथा पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि उप्र के पंद्रह साल के गुंडाराज को खत्म करने में कम से कम पांच-छह माह तो लगेगा ही। निश्चित तौर पर सहारनपुर हिंंसा के लिए प्रशासनिक मशीनरी दोषी है लेकिन हालात अब सामान्य हो रहे हैं। प्रशासन तय ही नहीं कर पाया कि मायावती को आना है तो किस तरह तैयारी करनी है। इसी का नतीजा रहा कि हालात बिगड़े। निश्चित रूप से लोग उत्तेजित थे। प्रशासन भांप नहीं पाया।