जातीय हिंसाग्रस्त शब्बीरपुर होने जा रही दो सगी बहनों की शादी
सहारनपुर के शब्बीरपुर में प्रीति व मोनी को इस पल को याद करने की वजह कुछ और होगी। आज उनकी बरात आने वाली है।
सहारनपुर (जेएनएन)। वैसे तो अच्छे पल ही यादगार बनने थे लेकिन शब्बीरपुर में प्रीति व मोनी को इस पल को याद करने की वजह कुछ और ही होगी। शुक्रवार को उनकी बरात आएगी। हर लड़की की तरह उनके भी अरमान हैं। सतरंगी ख्वाब...नये जीवन में प्रवेश और इस भावी जीवन को लेकर लाखों उम्मीदें भी..। बेशक, बराती भी होंगे और घरवाले भी, लेकिन स्वागत सत्कार से लेकर दांपत्य की गांठ बंधने तक हर-एक रस्म संगीनों के साये में होगी। परिजनों का बेटियों की जुदाई का गम तो अपनी जगह है, लेकिन फिलहाल उन्हें विदाई की बेला तक सबकुछ शांतिपूर्वक निपटने की फिक्र है।
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गांव निवासी फकीर चंद की बेटी प्रीति व मोनी की बरात शुक्रवार को जलालाबाद के जानीपुर से आनी है। बरात के ठहरने का इंतजाम रविदास मंदिर में है। सारी तैयारियां पहले ही पूरी हो चुकी थीं, लेकिन इसी बीच हुई जातीय हिंसा ने सारी खुशी छीन ली है। 500 से ज्यादा मेहमानों के सत्कार का इंतजाम किया हुआ था, मगर हिंसा ने सारे अरमानों पर पानी फेर दिया। हंसी-खुशी में शामिल होने के लिए रिश्तेदार तो कई दिन पहले ही पहुंच जाते हैं, लेकिन यहां रिश्तेदारों के बजाय लगातार पुलिस की आमद बढ़ रही है। बेटी वालों ने रिश्तेदारों से फोन पर बात की तो उन्होंने जवाब दिया कि हम जान जोखिम में डालकर शादी में नहीं आ सकते। जाहिर है कि अब गिनती के रिश्तेदार ही कार्यक्रम में पहुंच सकेंगे।
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फकीरचंद की बहन अनीता कहती हैं, भतीजी की शादी है, इसलिए मेरा तो पहुंचना लाजिमी था। जैसे-तैसे शब्बीरपुर पहुंच सकी हूं। हलवाई को बुलवा लिया गया है। शादी के लिए खरीदारी भी कर ली है। इसके बावजूद डर इस बात का है कि बराती बैंड-बाजों के साथ नाचते-गाते निकलें तो कोई विघ्न न पड़ जाए। अनीता कहती हैं, गांव में आए एक बड़े साहब को शादी के बारे में बताते हुए सुरक्षा का अनुरोध किया था। उन्होंने आश्वासन दिया है कि तुम शादी की तैयारियां करो, मौका लगा तो हम भी पहुंचेंगे। डर को मन से निकाल दो। बस बेटियों को आशीर्वाद देकर विदा करने की तैयारी में जुट जाओ।