न्यूनतम बैलेंस के आदेशों की भेंट चढ़ी छात्रवृत्ति
सहारनपुर : बैंकों द्वारा एक अप्रैल 2017 से खातों में न्यूनतम धनराशि रखे जाने के आदेश से अल्पसंख्यक स
सहारनपुर : बैंकों द्वारा एक अप्रैल 2017 से खातों में न्यूनतम धनराशि रखे जाने के आदेश से अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति बैंकों की भेंट चढ़ गई। ऐसे बच्चों के खाते सरकार द्वारा शून्य बैलेंस पर खुलवाए गए थे ताकि पढ़ने वाले बच्चों के खातों में छात्रवृत्ति स्थानांतरित की जा सके।
स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों के खाते सरकार द्वारा शून्य बैलेंस पर खुलवाए जाते हैं, ताकि उनमें बच्चों की छात्रवृत्ति भेजी जा सके। एक अप्रैल 2017 से बैंकों में न्यूनतम बैंलेंस रखने का फैसला लागू होने से केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति इन आदेशों की भेंट चढ़ रही है। जनपद में इस साल करीब साढे़ तीन हजार बच्चों ने अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किए थे। इनमें खानआलमपुरा निवासी सानिया पुत्री इरफान के खाते में 31 मार्च 2017 को अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के एक हजार रुपये डाले गए थे। जबकि इससे पहले से ही उसके खाते में 120 रुपये थे। चर्च कंपाउंड स्थित नैनीताल बैंक ने एक अप्रैल को इसके खाते में पांच एंट्री होने पर 1073 रुपये काट लिए। अब उसके खाते में मात्र 47 रुपये बचे हैं। इसका पता छात्रा को तब चला जब वह अपनी मां के साथ बैंक गई। बैंक वालों ने छात्रा को बताया कि प्रधानमंत्री के आदेश हैं कि जो खाताधारक अपने खाते में पांच हजार रुपये से कम रखेगा, उन पर जुर्माना लगेगा। इसी बैंक के एक अन्य छात्र केसर पुत्र रफीक अहमद के खाते में 125 रुपये मौजूद थे। इसके खाते में भी 31 मार्च को छात्रवृत्ति के एक हजार रुपये आए थे। एक अप्रैल को चार प्रविष्टियों के माध्यम से 920 रुपये बैंक ने खाते में न्यूनतम बैलेंस न होने के कारण काट लिए। ऐसे छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि सरकार द्वारा गरीब बच्चों को दिये जाने वाले छात्रवृत्ति की बैंक लूट कर रहे हैं। यदि बैंक ने उनके पैसे वापस नहीं किये तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे। इस संबंध में एलडीएम से बात करने का प्रयास किया तो वह फोन पर उपलब्ध नहीं हुए।
शिकायत आने पर करेंगे एलडीएम से बात
खातों में न्यूनतम बैलेंस के आदेश के चलते बैंकों द्वारा बच्चों के छात्रवृत्ति काटे जाने की अभी किसी ने कोई शिकायत नहीं की है यदि कोई इस बारे में जानकारी देगा तो इस संबंध में एलडीएम से बात की जाएगी। ऐसे बच्चों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर इनका कहना है कि सूची न आ पाने के कारण इनकी संख्या बता पाना संभव नहीं है, परंतु इनकी संख्या तीन से साढे़ तीन हजार के आसपास हो सकती है।
मुश्ताक अहमद, जिला अल्पसंख्यक अधिकारी।