मुस्लिम संगठनों ने मनाया काला दिवस
सहारनपुर : बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी व अन्य मुस्लिम संगठनों ने छह दिसंबर को काला दिवस के रूप में मनाय
सहारनपुर : बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी व अन्य मुस्लिम संगठनों ने छह दिसंबर को काला दिवस के रूप में मनाया। कई स्थानों पर काले झंडे फहराए गए और काली पट्टी बांधकर विरोध जताया गया।
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के तत्वावधान में इस्लामियां गर्ल्स कालेज में आयोजित जनसभा के दौरान वहदत ए इस्लामी के मौलाना इकबाल सहित कई वक्ताओं ने कहा कि छह दिसंबर 1992 को कानून व संविधान की अवहेलना कर अजीम बाबरी मस्जिद को मुजरिमाना षड़यंत्र के तहत शहीद किया गया था। यह शैतानी हरकत मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर आक्रमण है। मुसलमान बाबरी मस्जिद से कभी दस्तबरदार नहीं होंगे। इसके पुनर्निर्माण तक संघर्ष जारी रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि जबरदस्ती विध्वंस के बावजूद उसकी शरई और कानूनी स्थिति ज्यों की त्यों बरकरार है तथा उस स्थान पर आज भी मस्जिद है और भविष्य में भी रहेगी। इस स्थान पर यदि कोई निर्माण किया गया तो वह गैर कानूनी होगा। मौलानाओं ने कहा कि अफसोसनाक पहलू यह है कि 60 साल की लंबी सुनवाई के बाद 30 सितंबर 2010 में हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जो निर्णय दिया वह वास्तव में राजनीति से प्रेरित था, अब मसला सुप्रीम कोर्ट में है। वक्त बताएगा कि मुल्क का सबसे बड़ा न्यायालय न्याय दे सकेगा अथवा नहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता मौलाना अताउर्हमान वजदी ने की। इस दौरान मुस्लिम लीग के हकीम नसीम, हाजी उबैदुल्लाह काजिम, मुस्लिम इत्तेहाद कांफ्रेस के प्रो. शेरशाह आजम, मजाहिर उलूम वक्फ के मौलाना रियाजुल हसन व इंतेखाब आजाद आदि मौजूद रहे। उधर, आवामी संघर्ष मोर्चा ने राघड़ों के पुल पर काला दिवस मनाने को जनसभा का आयोजन किया। साथ ही राष्ट्रपति को आठ सूत्रीय ज्ञापन प्रेषित कर न्याय दिलाने की मांग की। इस दौरान हाजी जहीर अहमद, गुलरेज मतीन, डा. राव नदीम, रफी अहमद, इसरार चौधरी व इंतखाब आजाद आदि मौजूद रहे।