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बड़े उलेमा की राह से भटक रहे साद : दारुल उलूम

देवबंद (सहारनपुर) : तबलीगी जमात के मरकज (हजरत निजामुद्दीन) के जिम्मेदार मौलाना मोहम्मद साद कांधलवी क

By Edited By: Published: Tue, 06 Dec 2016 10:05 PM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2016 10:05 PM (IST)
बड़े उलेमा की राह से भटक रहे साद : दारुल उलूम

देवबंद (सहारनपुर) : तबलीगी जमात के मरकज (हजरत निजामुद्दीन) के जिम्मेदार मौलाना मोहम्मद साद कांधलवी के बयानों पर दारुल उलूम ने नाराजगी जताई है। फतवा जारी कर कहा है कि मौलाना साद बड़े उलेमा के रास्ते से हट रहे हैं। उन्हें तौबा करनी चाहिए।

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भोपाल में हाल ही में हुए तीन दिवसीय तबलीगी इजतमा में मौलाना साद ने कहा था कि मक्का मुकर्रमा और मदीना-मुनव्वरा के बाद दुनिया में सबसे अफजल मुकाम तबलीगी मरकज यानी हजरत निजामुद्दीन है। इस बयान के बाद से तबलीगी जगत के मुसलमानों में बेचैनी थी। मौलाना साद के बयानों को लेकर इस्लामिक जगत के लोगों ने दारुल उलूम से मौलाना साद के संबंध में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था। इसी को लेकर दारुल उलूम ने मौलाना साद के संबंध में स्पष्टीकरण व फतवा जारी किया है। इसमें कहा है कि मौलवी साद कम इल्मी होने के कारण कुरान व हदीस की व्याख्या करने में जमहूर अहले सुन्नत (जिन बातों पर उलेमा एक मत हैं) व असलाफ (बड़े उलेमा) के रास्ते से हटते जा रहे हैं। इसके लिए उन्हें तौबा व अस्तगफार करना पड़ेगा। बताया जाता है कि मौलाना साद के बयान पर तीखी आलोचनाएं आने के बाद मौलाना साद की ओर से एक प्रतिनिधि मंडल दारुल उलूम आया और गलती कुबूल की। इसे लिखित में भेजने को कहा। लेकिन मौलाना साद की ओर से दारुल उलूम को प्राप्त हुए लिखित माफीनामे से उलेमा संतुष्ट नहीं हुए। सोमवार देर शाम संस्था ने उनके मामले में फतवा जारी किया।

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ये हैं स्पष्टीकरण

देवबंद : दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी, सदर मुदर्रिस मुफ्ती सईद पालनपुरी व जमीयत उलेमा ए ¨हद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दारुल उलूम से जारी स्पष्टीकरण में कहा है कि विभिन्न देशों के उलेमा तकाजा कर रहे थे कि मौलाना साद कांधलवी की विचारों और बयानों के संबंध में दारुल उलूम देवबंद अपना रुख साफ करे। तहकीक के बाद सामने आया कि मौलवी साद के बयानों में कुरआन व हदीस की गलत तफसीर (व्याख्या) पाई जाती है। इतना ही नहीं उनका यह रवैया व तरीका तबलीगी जमात के पूर्व जिम्मेदार दिवंगत मौलाना इलियास, मौलाना यूसुफ व मौलाना इनामुल हसन की सोच व तरीके के भी खिलाफ है।


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