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पालीथिन पर पाबंदी से पनपा करोड़ों का कैरी बैग बाजार

सहारनपुर : पालीथिन कैरी बैग पर पाबंदी के बाद से दम तोड़ रहा लिफाफा और कैरी बैग बाजार ने नया रूप लेना

By Edited By: Published: Fri, 05 Feb 2016 10:50 PM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2016 10:50 PM (IST)
पालीथिन पर पाबंदी से पनपा करोड़ों का कैरी बैग बाजार

सहारनपुर : पालीथिन कैरी बैग पर पाबंदी के बाद से दम तोड़ रहा लिफाफा और कैरी बैग बाजार ने नया रूप लेना शुरु कर दिया है। बाजार में इनकी मांग को देखते हुए। अब कागज की मांग तेजी से बढ़ने के साथ ही यह कारोबार पनपने लगा है।

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पिछले काफी समय से पालीथिन कैरी बैग का बाजार पर कब्जा था तथा हजारों की संख्या में घरों पर लिफाफे व कैरी बैग बनाने वाले कारीगर खासकर महिलाएं बेकार होने के साथ ही उनके समक्ष रोजी रोटी की समस्या बढ़ गई थी। चंद गिने चुने लोग ही जी तोड़ मेहनत के बाद इस धंधे से जुड़े रहे, लेकिन मांग लगातार घटने तथा वाजिब दाम नहीं मिलने के कारण वह भी किनारा करते जा रहे थे। किसी समय में अकेले सहारनपुर में सैकड़ों गरीब परिवार लिफाफा बनाने के धंधे से जुड़े थे तथा यह काम लघु उद्योग का रूप धारण कर चुका था, लेकिन पालीथिन प्रचलन ने उनसे यह काम छीन लिया था। अब पालीथिन पर रोक से उनके अच्छे दिन आने की संभावना बढ़ी है तथा लोग भी पूरी उत्साह से इस व्यवसाय को नया रूप देने में लगे हैं।

बढ़ गए अखबारी रद्दी के दाम

बाजार में कैरी बैग व लिफाफों की मांग बढ़ने के साथ ही अखबारी रद्दी के भाव भी चढ़ने शुरू हो गए हैं। पूर्व में 10 से 12 रुपये किलो की दर से मिलनी वाली रद्दी के दाम उछाल कर 20 से 22 रुपये तक पहुंच चुके हैं तथा इसमें ओर बढ़ोत्तरी होने के आसार है। लिफाफों की मांग में भी इजाफा हुआ है। पहले 41 लिफाफो की एक गड्डी होती है तथा 5 गड्डी का एक बंडल होता है। एक बंडल की तैयारी में पूरा दिन लग जाता था तब भी मात्र 20 रुपये ही मिलते थे।

प्लास्टिक फैक्ट्रियों ने बदला ढांचा

पालीथिन प्रतिबंधित होने के साथ ही करोड़ों की प्लास्टिक फैक्ट्री चलाने वाले कारोबारी भी अपना व्यवसाय बदलने को मजबूर हो रहे हैं। अब बारीक कपड़े के कागज नुमा कैरी बैग बनाने को मशीनों व हाथ से कार्य शुरु कर दिया गया है। सहारनपुर में करीब आधा दर्जन स्थानों पर कागज के कैरी बैग बनाने का कार्य चल रहा है, लेकिन यह बैग अत्याधिक मंहगा होने के कारण अभी दुकानदार इससे किनारा कर रहे है। दो किग्रा का कागजी कैरी बैग 2.50 रुपये से लेकर 3 रुपये में पड़ रहा है।

क्या कहते हैं कारीगर

शानू, मोबिन व इमरान आदि का कहना है कि पालीथिन के चलन की वजह से लिफाफा बनाने का काम बंद हो गया था। पुरानी चुंगी, भगत ¨सह चौक के निकट पुराने मोहल्ले व चिल्काना अड्डा के निकट की कालोनियों में पहले कुछ लोग कारोबार करते थे, लेकिन पालीथिन के चलन से उन्हें काम बंद करना पडा था। अखबार की रद्दी से लिफाफे तैयार किए जा रहे है। पुरानी चुंगी निवासी लता देवी ने बताया कि बीते कुछ दिनों में दिनभर में 4-5 किलो लिफाफे बनाकर दुकानों पर सप्लाई कर रहे हैं। पालीथिन पर रोक से किराना की दुकानों पर कागज के लिफाफे की मांग बढी है। मलखान ¨सह ने कहा कि करीबन 24 साल से पूरा परिवार लिफाफे बना कर परिवार का पोषण कर रहे है। पालीथिन कैरी बैग बंद होने से उनकी आय बढ़ने की संभावना है।

महिलाओं को मिला लघु उघोग

पालीथिन पर पाबंदी के साथ में कस्बों में महिलाओं ने लिफाफा व कैरी बैग बनाने का स्वरोजगार शुरू कर दिया। मल्लीपुर, पेपर मिल रोड, टपरी, नकुड़ व गंगोह आदि के गांवों में महिलाएं शहर से रद्दी व कपड़ा खरीदकर कैरी बैग व लिफाफे तैयार कर रही है। दर्जी भी बेकार कपड़ों से थैला तैयार कर दुकानदारों को 10-15 रुपये की कीमत पर उपलब्ध करा रहे है।

-प्रस्तुति, ज्योति सिंह।


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