'श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए बहाना पड़ता है पसीना'
गंगोह (सहारनपुर) : रंगमंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करना कोई हंसी खेल नहीं है। रंगमंच पर दर्शकों के सा
गंगोह (सहारनपुर) : रंगमंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करना कोई हंसी खेल नहीं है। रंगमंच पर दर्शकों के सामने कलाकारों के अलावा पर्दे के पीछे भी अनेक लोगों को श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए पसीना बहाना पड़ता है।
रंगमंच के कलाकार कड़ी मेहनत कर अपनी कला का प्रदर्शन दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। मनोरंजन के अनेक साधन हो जाने के कारण रंगमंच का महत्व कुछ घट सा गया है। भले ही वह कोई नाटक हो या भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित श्रीरामलीला, समय के अनुसार नया पन लाने वाले लोग अब भी दर्शकों की भीड़ जुटाने में सक्षम हैं। रामलीलाओं की धूमधाम क्षेत्र में दो दिन बाद शुरू होने वाली है इसको दर्शकों तक ले जाने में कलाकारों के अलावा अन्य लोगों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
जगह-जगह रंगमंच तैयार हो चुके हैं। पर्दे, लाइट, साउंड सभी कुछ तैयार हैं। पर्दे उठाने वाले लोग रंगमंच प्रबंधक की सीटी का इंतजार कर तैनात रहते हैं वहीं पर्दे के पीछे सेट लगाने वाले लोगों की भी अहम भूमिका है। अच्छे कलाकार होने के साथ यदि स्टेज प्रबंधक की ओर से लगाया गया सेट अच्छा है तो दर्शक आज भी दाद देने से नही चूकते। किस कलाकार को कौन से दृश्य में देखना, क्या ड्रेस चाहिए यह भी महत्वपूर्ण काम है और इस व्यवस्था के लिए दक्ष लोग अपनी सेवाएं देते हैं।
रंगमंच का सबसे महत्वपूर्ण काम कलाकारों का मेकअप है। रामलीला के दौरान दरबारी से लेकर श्रीराम के स्वरूप को सजाना बड़ी मेहनत का काम है। कुल मिलाकर इस व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने में सैकड़ों लोगों का सहयोग होता है। प्रबंधक को कलाकारों की मांग भी पूरी करनी पड़ती है। कई बार तो इनकी जिद पर आयोजकों को नई ड्रेस का इंतजाम करना पड़ता है। रामलीला मंचन के दौरान यदि कोई कलाकार रूठ जाए तो प्रबंधक को उसे भी मनाना पड़ता है। यदि किसी भी काम में कोई कमी रह जाए तो रामलीला आयोजकों को दर्शकों का आक्रोश भी झेलना पड़ता है।