साइबर क्राइम सताए तो मेरे पास आओ : एसएसपी
सहारनपुर : एसएसपी नितिन तिवारी ने कहा कि इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों को अब साइबर क्राइम की समस्या
सहारनपुर : एसएसपी नितिन तिवारी ने कहा कि इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों को अब साइबर क्राइम की समस्या का अंदाजा तो होने लगा है। हर दिन ईमेल, फेसबुक अकाउंट, कंप्यूटर, क्रेडिट कार्ड या नेटबैं¨कग अकाउंट से जुड़ी साइबर क्राइम की सूचनाएं आती हैं। यदि किसी को साइबर क्राइम सताए तो वह मेरे (एसएसपी) या पुलिस की साइबर सेल के पास जाए। उस सूचना को तत्काल गंभीरता से लेते हुए समाधान का प्रयास होगा।
उन्होंने कहा कि आज के जमाने में एक अलर्ट कंप्यूटर यूजर को साइबर क्राइम का शिकार होने की स्थिति में अपने अधिकारों, उठाए जाने वाले कदमों और गलत तत्वों को सबक सिखाने का रास्ता मालूम होना चाहिए। कौन जाने, मुस्तैदी से उठाया गया एक कदम आपके नुकसान की भरपाई कर दे और शरारती तत्वों में डर पैदा कर दे, जिससे कि वह दोबारा किसी के साथ ऐसी हरकत न कर सके। उन्होंने कहा कि अगर आप ऐसे किसी अपराध के शिकार होते हैं, तो आपको चार स्तरों पर काम करने की जरूरत है। याद रखें, हर कदम पर मिलने वाले डॉक्यूमेंट, मैसेज और दूसरी जानकारियों को सहेजना न भूलें। कानूनी लड़ाई लड़ने में वह आपके बहुत काम आएगी।
पहला स्तर : अधिक हानि से बचें
जैसे ही साइबर क्राइम का पता चले, उसे सीमित करने के कदम उठाएं। आपके क्रेडिट कार्ड या नेटबैं¨कग खाते से पैसे निकाल लिए जाने पर पहली फिक्र यह करनी चाहिए कि उससे और पैसे न निकाले जाएं। तुरंत बैंक से संपर्क करना और क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करवाना जरूरी है। यदि ईमेल या सोशल नेटवर्किग अकाउंट हैक होता है, तो रिलेटेड वेबसाइट पर जाकर रिकवरी प्रक्रिया शुरू करनी होगी। लॉग-इन स्क्रीन पर जाकर देखें कि क्या कहीं पासवर्ड भूलने या अकाउंट रिकवर करने का ¨लक दिखाई देता है? अगर वेबसाइट हैक की गई है, तो पहले अपने जरूरी डेटा को सहेजने में जुटें, ताकि और नुकसान होने से बचे। अपराध कब हुआ, उसकी तारीख और वक्त जरूर नोट कर लें।
दूसरा स्तर : सबूत जुटाएं
जरूरी सबूत इकट्ठा करें, जिनका इस्तेमाल आप आगे की कार्रवाई में करेंगे। आपके फेसबुक अकाउंट पर अश्लील टिप्पणी की गई है या कोई अश्लील ईमेल भेजा गया है, तो उसे अपने पास सेव करना जरूरी है, क्योंकि फेसबुक वॉल पर की गई टिप्पणी को अपराधी हटा भी सकता है। अपने फेसबुक पेज का स्क्रीनशॉट लेने की कोशिश करें। ईमेल अकाउंट को किस आइपी अड्रेस से हैक किया गया था, उसका ब्योरा भी तीनों प्रमुख ईमेल सर्विस प्रोवाइडर - गूगल, याहू और आउटलुक (लाइव-हॉटमेल) में मौजूद रहता है।
तीसरा स्तर : सर्विस प्रोवाइड से बात
रिलेटेड सर्विस प्रोवाइडर (ईमेल वेबसाइट, क्रेडिट कार्ड कंपनी, बैंक, सोशल नेटवर्किग वेबसाइट) से कॉन्टैक्ट कर औपचारिक शिकायत करें। इसके लिए भेजे जाने और पाने वाले सभी मैसेज/ईमेल का रिकार्ड जरूर रखें। यदि नेटबैं¨कग या क्रेडिट कार्ड का दुरुपयोग हुआ है तो उसके बारे में बैंक से पूरी जानकारी लें। अगर वेबसाइट हैक हुई है तो अपनी वेब हो¨स्टग कंपनी से बात कीजिए। हो सकता है कि उसके रिकॉर्ड में साइबर अपराधियों के आइपी अड्रेस या दूसरे ब्योरे उपलब्ध हों। अपराध ईमेल और सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट से संबंधित है, तो उन्हें अलग से मेल भेजकर या रिपोर्टिग पेज के जरिए सूचना दें। संबंधित अपराधियों को ब्लॉक करने और उनके खिलाफ सबूत जुटाने के मामले में आपकी दी जानकारी उन वेबसाइटों के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है।
चौथा स्तर : पुलिस के पास जाएं
साइबर अपराधों की जांच और आगे कार्रवाई करने वाली एजेंसियों से संपर्क करें, इसके लिए आप स्थानीय पुलिस से शिकायत कर सकते हैं।
ये होता है साइबर क्राइम
एसएसपी ने बताया कि इंटरनेट के •ारिए किए जाने वाले अपराधों को साइबर क्राइम कहते हैं। जैसे आपके बैंक खाते की जानकारी लेकर उससे पैसा चुराना, आपके क्रेडिट कार्ड से चीजें खरीदना, स्वयं को एक कम्पनी दिखाकर लोगों से निवेश कराना, सॉफ्टवेयर की चोरी, दोषपूर्ण सॉफ्टवेयर भेजकर कम्प्यूटर को दूषित करना या किसी कम्प्यूटर सिस्टम में गैर कानूनी रूप से घुसना। ऐसे अपराधों प्रकरणों से निपटने और उनकी सजा के लिए अंतर्राष्ट्रीय ही नहीं भारतीय कानूनी प्रावधान हैं। ऐसे प्रावधान साइबर लॉ के अंतर्गत आते हैं। इस कानून में है¨कग, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, साइबर स्टॉ¨कग, कम्प्यूटर सोर्स कोड के प्रसारण, बौद्धिक संपदा, कॉपीराइटर तथा ट्रेडमार्क से जुड़े अपराध के खिलाफ प्रावधान बनाए गए हैं।