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अय्याश पति से त्रस्त हो दी थी दो लाख में सुपारी

सहारनपुर : मंगलवार सुबह टहलने निकले व्यापारी मोहनलाल मित्तल की गोली मारकर हत्या किए जाने का खुलासा प

By Edited By: Published: Fri, 31 Jul 2015 11:24 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2015 11:24 PM (IST)
अय्याश पति से त्रस्त हो दी थी दो लाख में सुपारी

सहारनपुर : मंगलवार सुबह टहलने निकले व्यापारी मोहनलाल मित्तल की गोली मारकर हत्या किए जाने का खुलासा पुलिस ने कर दिया है। पत्नी व बेटे ने मिलकर उनकी हत्या की सुपारी दी थी। पुलिस व परिजनों के अनुसार व्यापारी का चाल-चलन ठीक न होने की वजह से उनकी हत्या कराई गई। पुलिस ने व्यापारी की पत्नी व पुत्र के साथ एक महिला और शूटरों को गिरफ्तार किया है। इनसे सुपारी की अग्रिम एक लाख की नगदी, रिवाल्वर, तमंचा, बाइक व मोबाइल फोन मिला है।

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पुलिस लाइन में शुक्रवार को एसएसपी नितिन तिवारी ने पत्रकारों को बताया कि इंस्पेक्टर कोतवाली नगर बीपी ¨सह जाखड़ ने मुखबिर की सूचना पर व्यापारी की पत्नी मंजू मित्तल व पुत्र पीयूष से पूछताछ की तो हत्याकांड खुल गया। मां-बेटे ने बताया कि मोहनलाल का चाल-चलन ठीक नही था, जिससे वे परेशान थे। घर में प्राय: बाजारू महिलाओं को लाते थे, जिससे कलह होती थी। मंजू ने बेटे पीयूष के साथ मिलकर परिचित महिला सरोज देवी उर्फ बुआ से बात की तो हत्या की साजिश रची गई। बुआ ने ही भूतेश्वर मंदिर के गार्ड आलोक से मिलवाया था। मोहनलाल की जान लेने का सौदा दो लाख में तय हुआ था। बतौर अग्रिम एक लाख रुपये दिया जा चुका था। एसएसपी ने बताया कि मंजू व पीयूष की मदद से गार्ड आलोक को पकड़ा तो उसने संदीप गुर्जर व हनी शर्मा को भी पकड़वा दिया। पांचों की निशानदेही पर वारदात में प्रयुक्त बाइक, मोबाइल, एक लाख नगदी, गार्ड का लाइसेंसी रिवाल्वर, तमंचा व 15 जिंदा कारतूस के साथ आठ खोखे भी बरामद हुए। सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।

घर पर खाना भी छोड़ दिया था

परिवार में रोज कलह के चलते मोहनलाल मित्तल ने सात साल से घर में खाना-पीना भी छोड़ दिया था। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि मोहनलाल को शक था कि किसी भी दिन उनकी पत्नी व बेटा उन्हें जहर देकर मार सकते हैं, इसी वजह से वे दोनों वक्त खाना होटल में खाते थे।

'जरा भी पछतावा नहीं'

व्यापारी की पत्नी मंजू ने बताया कि उसका पति इसी लायक था। कई साल तक बर्दाश्त किया। घर पर बाजारू महिलाओं को लाते थे और बेटे को भी उल्टी-सीधी बात कहते थे। वह इसी लायक थे, मुझे जरा भी पछतावा नहीं है।


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