नेकियों को कमाने का सीजन है रमजान
देवबंद : रमजान नेकियां कमाने का सीजन है। मजहबे इस्लाम में रमजान महीने का रोजा एक अहम रुक्न (भाग) है।
देवबंद : रमजान नेकियां कमाने का सीजन है। मजहबे इस्लाम में रमजान महीने का रोजा एक अहम रुक्न (भाग) है। रमजान में रोजे रखने का मतलब सिर्फ खाना, पीना छोड़ना नहीं है, बल्कि रोजा शरीर के सभी अंगों का होता है। रमजान मुबारक में जुबान और आंखों की खासतौर पर हिफाजत करनी चाहिए। हर लम्हें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि कोई भी लम्हा अल्लाह की नाफरमानी (अवहेलना) में न गुजरे। अपनी ख्वाहिशात पर कंट्रोल करने का नाम रमजान है। रमजान का मतलब सिर्फ सहरी या इफ्तार करना नहीं बल्कि यह पाक महीना एक तरह से मनुष्य को तरबियती (प्रशिक्षण) कोर्स कराता है। जिसका मकसद अल्लाह से बंदों के रिश्ते मजबूत बनाना है। रोजा रोजेदार के दिल की गंदगी को पाक करता है। और बुरे कामों की ओर ले जाने वाली चीजों को दिल से दूर करता है। रोजा अल्लाह की रहमतों, बरकतों और नेमतों का लूटने का जरिया है। रमजान दूसरों की मदद और हमदर्दी करने का जज्बा भी पैदा करता है। या यूं कहिये कि रोजा गरीब और जरूरतमंदों की मदद करने का पाठ पढ़ाता है। हमें आसपास के लोगों का ख्याल रखना चाहिए। सदका, खैरात, जकात भी इस महीने में ज्यादा से ज्यादा देनी चाहिए। मुकद्दस महीने रमजान में झूठ बोलने, धोखा देने, गीबत करने, बदनजरी और दीगर तमाम गुनाहों से बचने का जिस तरह मुजाहेरा करते है। उसी तरह हमें साल भर रहना चाहिए। रमजान के अलावा भी अल्लाह की इबादतों में मशगूल रहना चाहिए। खासतौर पर कुरान पाक की तिलावत का हमेशा खास अहतमाम करना चाहिए। रमजान के पूरे महीने नमाज और रोजों समेत हर इबादत को कबूल करने की दुआ अल्लाह से मांगते रहनी चाहिए।
- मौलाना हसीब सिद्दीकी, मुस्लिम फंड ट्रस्ट देवबंद के महाप्रबंधक और आल इंडिया मिल्ली इक्तिसादी कौंसिल के अध्यक्ष।