हर्बल होली इज द राइट च्वाइस
सहारनपुर : रंगों में मिले केमिकल्स और लेड से शरीर व स्किन को बचाने के लिए क्यों न इस बार हर्बल होली
सहारनपुर : रंगों में मिले केमिकल्स और लेड से शरीर व स्किन को बचाने के लिए क्यों न इस बार हर्बल होली खेली जाए। फूलों, पत्तियों की हर्बल होली से आपका और दूसरों का बचाव तो होगा ही, साथ ही कई गैलन पानी की बर्बादी भी रोकी जा सकती है। मिलावटी रंगों से बचाने के लिए हर्बल होली ही खेलें।
रंग मिलावट नुकसान
ग्रीन रंग कॉपर सल्फेट आई संक्रमण, स्थायी अंधता
परपल क्रोमियम आयोडाइड अस्थमा, स्किन इंफेक्शन
सिल्वर एल्मुनियम क्रोमाइड अस्थमा
ब्लैक लेड ऑक्साइड लर्निग डिसएबिलिटी
रेड मरक्यूरी सल्फाइड कैंसर, पैरालिसिस, मेंटल डिसआर्डर
शाइनिंग कलर्स गोल्डन- लेड स्किन पर लाल चकते, दाने
48 घटे में असर शुरू
हार्मफुल कलर्स के साइड इफेक्ट 48 घटे बाद नज़र आने लगते हैं। डॉक्टर्स ने रंगों के साइड इफेक्ट को तीन कैटेगरी में बाटा है।
इंरीटेंट काटेक्ट डर्मीटाइटिस : रंग लगने के 48 घटे के बाद असर शुरू। इसमें चेहरे पर दाने, खुजली, जलन आ जाती है
एलर्जिक काटेक्ट डर्मीटाइटिस : 10 दिन में असर शुरू। इसमें त्वचा के सॉफ्ट स्थानों पर लाल दानों के बाद सफेद दाग में बदलने लगते हैं।
फोटोटाक्सिक डर्मीटाइटिस : केमिकल्स के कारण अल्ट्रावायलट को सोखता है स्किन को डेड कर देता है। गुलाल में भी शीशा पीस कर मिलाया जाता है।
बालों को अधिक नुकसान
रंगों में मिले शीशे से बाल सर्वाधिक खराब होते हैं। शीशा जड़ों में जाने पर निकलता नहीं है। इससे बालों में स्थायी समस्या आती है। हेयर फॉल के साथ बालों की ग्रोथ रुक जाती है।
नकली हर्बल से न बनें बेवकूफ
हर्बल गुलाल और रंगों के नाम पर कई मर्तबा दुकानदार हर्बल और केमिकल फ्री बताकर गलत रंग थमा देते हैं, जो नुकसान करते हैं। इसलिए फूलों से होली खेलें।
ऐसे बनाएं प्राकृतिक रंग
प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और फूल-पत्तियों को मिलाकर रंग तैयार किया जाता है।
पीला
एक चम्मच हल्दी और चार चम्मच बेसन मिलाकर।
- गेंदे या टेसू के फूल की पंखुड़ियों को पानी में उबालकर।
- अनार के छिलकों को रातभर पानी में भिगोकर।
- गेंदे के फूल की पत्तियों को मिलाकर।
- आटे में हल्दी मिलाकर।
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गुलाबी रंग
- चुकंदर के टुकडे़ पानी में भिगोकर गहरा गुलाबी रंग बनाया जा सकता है।
- प्याज के छिलकों को पानी में उबालकर।
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लाल रंग
- मेहंदी में बराबर मात्रा में आटा मिलकर हरा रंग बनाया जाता है। सूखी मेहंदी त्वचा पर लगने पर नुकसान के बजाए फायदा होता है।
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भूरा रंग
- आम तौर पर कत्था पान खाने में प्रयोग होता है, लेकिन इसमें पानी मिलाकर भूरा रंग तैयार किया जा सकता है। इसके अलावा चायपत्ती का पानी भी भूरा रंग देता है।
केसरिया रंग
पलाश फूल की पत्तियों से
गुलाबी रंग
बीटरूट को पानी में घोलें
आखों को बचाएं
गुलाल में अभ्रक और रंगों में सीसा मिला होता है। कापर सल्फाइड और लेड आक्साइड जैसे रसायन त्वचा और आखों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाते हैं। वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अनंत अग्रवाल ने बताया शीशा (लेड) कार्निया को क्षति पहुंचाता है। कार्नियल एंब्रेशन में तुरंत इलाज की जरूरत होती है। ऐसे में आखों से लगातार पानी आता है। रंग भरे गुब्बारे आखों में लगने से आखों में खून आ सकता है। आखों में एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस, केमिकल बर्न, कोर्नियल बर्न, ब्लंट आई जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
केमिकल कलर्स स्किन, बॉडी, हेयर्स सभी को इफेक्ट करते हैं। होली खेलने से पहले माश्चराइजर की मालिश बॉडी पर करें। बालों में तेल की कंडिशनिंग करें। नहाने के बाद भी बॉडी, हेयर्स को आइली टच दें।
रुचि कालरा, ब्यूटीशियन
केमिकल, लेड बॉडी के सॉफ्टपार्ट्स को सबसे पहले हार्म देते हैं। त्वचा, अंडर आर्म्स, होंठ, आख, मुंह, गाल और बाल को खासतौर पर रंगों से बचाएं। सास के जरिए रंग फेफड़ों में जाने से अस्थमा का खतरा रहता है। इसलिए हर्बल होली खेलें।
डॉ. सुनील वर्मा, डर्मिटोलॉजिस्ट
सूखे रंगों से निकलने वाले सूक्ष्म कण अस्थमा रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। अस्थमा का इलाज सिर्फ इनहेलर है, जो पूरी तरह सुरक्षित है। इससे मरीज को तत्काल आराम मिलता है। होली में उड़ने वाले सूखे रंग एलर्जिक रोगियों के लिए उत्प्रेरक का काम करते हैं। उनमें दमा का अटैक हो सकता है। कई बार इसका परिणाम घातक भी हो सकता है।
- डॉ. प्रवीण शर्मा, सांस व छाती रोग विशेषज्ञ।
होली को सुरक्षित बनाने के लिए अपनाएं ये टिप्स
- अपनी स्किन और बालों को रंगों के केमिकल से बचाने के लिए नारियल तेल, ऑलिव ऑयल या बेबी ऑयल अच्छे से लगाएं। सरसों का तेल बिल्कुल न लगाएं।
- केमिकल स्किन के अंदर तक न घुसें इसके लिए मोटे और गाढ़े रंग के पूरे हाथ-पैर ढंकने वाले कपड़े पहनें।
- होली खेलने के बाद रंग उतारने के लिए हार्ड साबुन, डिटरजेंट या शैंपू के बजाय बेसन व दही आदि का इस्तेमाल करें।
- एक बार में सारा उतारने की कोशिश में बार-बार स्किन को रगड़ें नहीं, रंग को धीरे-धीरे उतरने दें।
- अगर त्वचा में जलन या रैडनेस हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
- अगर आख में रंग चला जाए तो उसे तुरंत साफ पानी से धोएं। होली खेलते समय या इसके दूसरे दिन बाद तक कॉन्टेक्ट लेंस न लगाएं, क्योंकि रंग लेंस को डैमेज कर सकते हैं।
- होली खेलने से पहले नाखूनों को काट लें।
- जहा तक हो सके सूखे और हर्बल गुलाल से होली खेलें।
- प्रस्तुति : मोनिका मोहिनी