बदहाल सहारनपुर को मिल सकती है नई राह
जागरण संवाददाता, सहारनपुर : सहारनपुर महानगर की समस्याओं में आगामी वर्ष में खासी कमी होने की उम्मीदें
जागरण संवाददाता, सहारनपुर : सहारनपुर महानगर की समस्याओं में आगामी वर्ष में खासी कमी होने की उम्मीदें जगी है। जिस तरह से नये प्रस्ताव बना कर शासन को प्रेषित किये जा रहे है उससे सहारनपुर को नया साल नये सवेरे के रुप में निकलने की संभावना है। सहारनपुर की अहम समस्या रोजाना निकलने वाला सैकड़ों टन कचरा है जिसके निस्तारण की समस्या विकराल रुप धारण करती जा रही है। वर्ष 2015 में जिला प्रशासन व निगम ने इस दिशा में ठोस पहल करने की तैयारी की है तथा कचरा प्रबंधन को नये विकल्प तलाशें जा रहे है।
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यह है स्थिति
महानगर में कूड़ा उत्पादन निरंतर बढ़ता बढ़ता जा रहा है। महानगर में कूड़ा 320 मीट्रिक टन प्रतिदिन निकलता था पर अब यह 335 मीट्रिक टन निकलना शुरू हो गया है। जवाहर लाल नेहरू अरबन रिन्यूबल मिशन योजना (जेएनएनयूआरएम) अन्तर्गत कूड़ा निस्तारण योजना सहारनपुर में लागू नहीं होने के कारण महानगर हजारों मीट्रिक टन कूड़े पर बैठा है। निगम 5 वर्ष के कार्यकाल में कूड़ा प्रबंधन तो दूर कूड़ा डंप करने का स्थान भी नहीं तलाश पाया है। यहां से निकला सैकड़ो मीट्रिक टन कूड़ा बाहरी क्षेत्रों या फिर आस पास के गांवों अथवा खाली प्लाटों में डंप किया जाता रहा है। नालों से बड़े पैमाने पर सिल्ट आदि को मकानों व नए बनाये जा रहे रास्तों तथा खाली प्लाटों के भराव में इस्तेमाल किया जाता रहा है।
आजाद कालोनी, पीर वाली गली, खाताखेड़ी, इलाही पुरा, दयाल कालोनी, चिलकाना रोड, पुरानी मंडी में कूड़े की भरमार ने है। मुख्य बाजारों की भी तकरीबन यहीं स्थिति है।
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सहारनपुर का कूडानामा
-प्रत्येक दिन निकलने वाला कूड़ा-320 मीट्रिक टन
-कूड़ा ठिकाने लगाने के स्थान- 4 (संकलापुरी मार्ग, ढमोला गांव, नवादा रोड व पेपर मिल रोड)
-कूड़ा संग्रहण केन्द्रों की संख्या-21
-पर्यावरण अनुकूल संग्रहण केन्द्र-शून्य
-कूड़े में 60 प्रतिशत मिश्रित है- गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा (प्लास्टिक, शीशा व धातु)
-महानगर के कुल वार्ड-55
-कितने वार्डो में कूड़ाघर-23
बाकी में सड़कों के किनारे लगे रहते है ढेर।
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देवबंद तहसील का भी बुरा हाल
देवबंद का अरबी मदरसा रोड, रेलवे रोड, मुख्य बाजार आदि कूड़ा घर बन चुके है। पार्को पर कब्जा करके वहां गोबर पथ रहा है। सड़कों पर जलभराव, अटे नाले, सिल्ट, पॉलीथिन और कूड़ा भरा रहता है। मामूली बारिश के बाद ही तहसील के अधिकांश गांव टापू बने नजर आते है।
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बेहट तहसील बदतर
बेहट तहसील का भी बुरा हाल है। सफाई नहीं होने से मौहल्लों में गंदगी के अंबार लगे है। करीब एक मीट्रिक टन कचरा रोज निकलता है लेकिन डंप करने का स्थान नहीं होने के कारण नदी किनारे या फिर सड़कों के किनारे डंप किया जा रहा है।
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तहसील रामपुर में सफाई का नाम नहीं
रामपुर तहसील में भी सफाई व्यवस्था बदहाल है। बड़ी आबादी का कस्बा होने के बावजूद अपेक्षित सफाई कर्मी नहीं होने के कारण कस्बा कूड़ाघर ज्यादा नजर आता है। यहां भी कचरा डंप का स्थान नहीं है।
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नकुड़ तहसील बेहाल
नकुड़ तहसील की स्थिति भी कमोवेश अन्य तहसीलों की तरह है। यहां भी गंदगी व कूड़ा उठान लोगो की समस्या है। पालिका व पंचायत चेयरमैन होने के बावजूद यहां कभी भी सुधार के अपेक्षित प्रयास नहीं किये गये।
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यह है उम्मीदें 2015 की
-नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की संख्या 1300 के स्थान पर 2200 होगें।
-सफाई उपकरणों के अलावा निगम में संसाधन बढ़ेंगे।
-तहसीलों में भी सफाई कर्मचारियों की संख्या तकरीबन दो गुना होगी।
-निगम में शामिल 32 गांवों व 160 कालोनियों की स्थिति सुधरेगी।
-कूड़ा प्रबंधन के लिए उचित कदम उठाये जायेंगे।
-कूड़ा डंप करने के स्थान निर्धारित किये जायेंगे।
-आईटीसी द्वारा 5 सुलभ कांप्लेक्सों का निर्माण होगा।
-नगर निगम द्वारा अनेक स्थानों पर मूत्रालय आदि की व्यवस्था।
-नालों की सफाई को आधुनिक उपकरण मंगाये जायेंगे।
-नालों से निकली सिल्ट आदि की समुचित व्यवस्था होगी।
-निगम क्षेत्र में कूड़ा उठान व प्रबंधन की नियमित व्यवस्था होगी।