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सरकारी स्कूलों के 90 फीसदी शौचालय बदहाल

By Edited By: Published: Tue, 02 Sep 2014 08:19 PM (IST)Updated: Tue, 02 Sep 2014 08:19 PM (IST)
सरकारी स्कूलों के 90 फीसदी  शौचालय बदहाल

नकुड़(सहारनपुर): वैसे तो सरकार गांव को साफ रखने के बड़े- बड़े दावे करती है और गांव-गांव में शौचालयों का प्रयोग करने के स्लोगन लिखे गए हैं। सभी सरकारी स्कूलों में शौचालयों का निर्माण किया गया है, लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक स्कूलों में शौचालयों की स्थिति दयनीय है। साफ- सफाई तथा रखरखाव के अभाव में क्षेत्र के नब्बे फीसदी स्कूलों के शौचालय गत कई वर्षो से खराब पड़े हैं। शौचालयों में पानी तक की भी सुविधा नहीं है। शौचालय जाने से पहले छात्राओं को बाहर से ही पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है। जिससे छात्र-छात्राओं को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 128 प्राथमिक तथा 65 जूनियर हाईस्कूल संचालित किए जा रहे हैं। प्राथमिक स्कूलों में 5525 बालक तथा 5675 बालिकाओं सहित कुल 11200 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जबकि पूर्व माध्यमिक स्कूलों में 1210 बालक तथा 1630 बालिकाओं सहित कुल 20840 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। पूर्व माध्यमिक स्कूल मल्ला मजरा के प्रधानाध्यापक प्रवीण कुमार त्यागी ने बताया कि करीब 12 वर्ष पूर्व बनाए गए शौचालयों के गड्ढे कच्चे व बहुत छोटे बनाए गए थे। इतना ही नहीं अधिकांश शौचालयों में जल निकासी की व्यवस्था तक नहीं की गई थी। परिणामस्वरूप बनने के कुछ सालों बाद ही इनके गड्ढे भर गए तथा शौचालय ठप हो गए।

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केस-1

प्राथमिक स्कूल सरूरपुरतगा उर्फ नीची नकुड़ में करीब दो साल से शौचालयों पर ताला लटका है। तैनात शिक्षामित्र ने बताया कि लंबे समय से शौचालय की सीट टूटी होने से इसका प्रयोग नहीं हो रहा है। विभाग भी बेखबर बना हुआ है।

केस-2

प्राथमिक स्कूल हसनपुर में शौचालय जर्जर हालत में हैं तथा इसमें अत्याधिक गंदगी व कूड़ा करकट भरे होने के कारण वर्षो से इनको प्रयोग में नहीं लाया जा रहा है। छात्राएं खुले में ही शौच आदि करने को मजबूर हैं। यही नहीं सरकारी स्कूलों में पानी तक के लाले हैं। पानी पीने के लिए भी छात्र-छात्राओं को स्कूल से बाहर जाना पड़ रहा है।

केस-3

पूर्व माध्यमिक स्कूल मल्ला माजरा तथा प्राथमिक स्कूल एक ही परिसर में चलाए जा रहे हैं। यहां शौचालयों की हालत दयनीय है। गड्ढे भर जाने से इनका प्रयोग नहीं किया जा रहा है। हालात इतने बदतर हैं कि शौचालयों के पास जाने से भी छात्राएं बचती हैं। इतना ही नहीं गत तीन वर्षो से हैंडपंप खराब पड़ा है।

छात्र-छात्राओं को हो रही परेशानी

शौच के लिए बच्चों को स्कमल से अपने घर जाना पड़ता है। अध्यापक-अध्यापिकाओं को भी परेशानी उठानी पड़ रही है। स्कूलों के शौचालयों के लिए किसी तरह की सफाई व्यवस्था का इंतजाम ही नहीं है। कक्षा आठ में पढ़ने वाली रीना तथा कक्षा सात की मोनिका ने बताया कि शौचालयों में गंदगी होने के कारण वहां जाने का मन नहीं करता, मजबूरी में घर जाना पड़ता है।

अधिकारी कहिन

शौचालय बनने के बाद रखरखाव तथा साफ- सफाई के लिए विभाग से कोई पैसा नहीं मिला है। ऐसे में स्कूलों में बने शौचालयों की सफाई नहीं हो पा रही है।

राज मोहन, खंड शिक्षा अधिकारी।


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