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साढ़े पांच घंटे लेट ही मौके पर क्यों गए आला अफसर ?

By Edited By: Published: Fri, 22 Aug 2014 10:29 PM (IST)Updated: Fri, 22 Aug 2014 10:29 PM (IST)
साढ़े पांच घंटे लेट ही मौके पर क्यों गए आला अफसर ?

- सहारनपुर दंगे की जांच कर रहे कमिश्नर ने इस सवाल पर लिया 19 अधिकारियों का बयान

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- गृह सचिव ने दिया 25 तक रिपोर्ट देने को ग्रीन सिग्नल, 24 को रिपोर्ट देंगे कमिश्नर

सहारनपुर : साढ़े पांच घंटे लेट ही मौके पर क्यों गए आला अफसर? इस प्रश्न के जवाब में सहारनपुर दंगे की प्रशासनिक जांच कर रहे कमिश्नर मेरठ मंडल भूपेन्द्र सिंह ने अपनी जांच के दौरान 19 अधिकारियों के बयान लिए। अधिकांश अफसरों ने अपने रिकार्ड के अनुसार एक ही बयान दिया पर खुफिया विभाग, सहारनपुर विकास प्राधिकरण व कुछ पीड़ितों के बयान ने अफसरों के लेट पहुंचने पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। कमिश्नर का मानना है कि यदि अफसर गुरूद्वारे पर हुए पथराव, उसके बाद थाने में हुई बैठक व एक पक्ष के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज होने के दौरान वहां होते तो शायद सहारनपुर में दंगा न होता। यदि हालात खराब होते भी तो आला अफसर आसपास के जनपदों को अलर्ट कर पुलिस बल समय पर बुलाते।

मेरठ कमिश्नर कार्यालय सूत्रों के अनुसार गृह सचिव कमल सक्सेना के आदेश के अनुपालन में कमिश्नर भूपेन्द्र सिंह ने विभिन्न चार बिन्दुओं पर अपनी 85 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में सर्वाधिक बयान अफसरों के है। कमिश्नर ने घटना के शुरू होने से लेकर दंगा शांति होने तक अफसरों से बयान लिए। डीएम व एसएसपी ने अपने बयान में उन्हें बताया है कि 25 जुलाई की रात करीब दो बजे गुरूद्वारा रोड पर पथराव की कथित सूचना के बाद एडीएम प्रशासन दिनेश चंद, नगर मजिस्ट्रेट कुंज बिहारी अग्रवाल व एसपी सिटी श्री कृष्ण मौके पर थे। उन्होंने घटना को शांत करते हुए उग्र लोगों को समझाया और अवैध निर्माण करने वालों के विरूद्ध थाना कुतुबशेर में मुकदमा भी दर्ज किया। इसी मुकदमा के दर्ज होने के बाद एक विशेष समुदाय के लोगों ने बैठक की। यह वाकया रात्रि साढ़े तीन बजे का है, उसके बाद पथराव, आगजनी, लूटपाट, फायरिंग की घटनाएं हुई। ऐसे में सवाल उठता है कि जब यह घटना 26जुलाई को सुबह करीब चार बजे से शुरू हो गयी थी तो डीएम व एसएसपी सुबह 7.55 बजे मौके पर क्यों पहुंचे। कमिश्नर का मानना है कि यदि अफसर साढ़े पांच घंटे पहले पहुंच जाते तो हालात संभल सकते थे। बहरहाल, कमिश्नर का मानना है कि जितनी उग्र दंगा हुआ, उसे शांत होने में भी करीब चार घंटे का समय लगा। बहरहाल, इसी प्रश्न के उत्तर के आधार पर कमिश्नर ने पांच अधिकारियों की लापरवाही पाई है। उन्होंने अपने अन्य चार सवालों के जवाब में 9 ओर अधिकारियों की लापरवाही पाई है। सहारनपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, प्रवर्तन प्रभारी, सहायक अभियंता, अवर अभियंता को उन्होंने अवैध निर्माण का दोषी माना है। सूत्रों ने बताया कि यह रिपोर्ट शासन को 20 अगस्त तक प्रेषित करनी थी पर अब गृह सचिव कमल सक्सेना ने रिपोर्ट शासन को प्रेषित करने के लिए 25 अगस्त तक का समय दिया है। संकेत मिले है कि 24 अगस्त को यह रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी जाएगी, लेकिन सहारनपुर सदर सीट पर उप चुनाव की प्रक्रिया के चलते इस रिपोर्ट के आधार पर लापरवाह अफसरों पर कार्रवाई व चल-अचल संपत्ति के नुकसान वाले पीड़ितों को मुआवजा का भुगतान विस उप चुनाव के बाद ही होगा।


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