'जिंदगी की भीख मांगते रहे, पुलिस अनसुनी कर गई'
सहारनपुर : दंगे में मारे गए हरीश कोचर के परिवार को जिंदगी भर का दर्द दे दिया। पुलिस की कार्यप्रणाली ने भी उन्हें झकझोर दिया। सड़क किनारे के एक मकान की छत से चली गोली लगने से सोमवार को तीन दिन बीत जाने के बावजूद इस परिवार की सुध लेने सरकारी स्तर पर कोई नहीं पहुंचा है।
भाजपा नेता एवं पउप्र उद्योग व्यापार मंडल के कोषाध्यक्ष हरीश कोचर ने मरते दम तक दूसरे के दर्द को अपना समझा। इसका उदाहरण गोली लगने के समय उनसे कुछ ही दूरी पर पीछे चल रहे उनकी आढ़त के मुनीम विजयपाल ने सोमवार को बिलखते हुए बयां किया। हत्या के एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी मुनीम का कहना था कि जब शहर में दंगे की खबर लगी तो उनके मुस्लिम आढ़ती पड़ोसी ने हरीश कोचर से उसे घर तक छोड़ने के लिए कहा था। इस पर हरीश कोचर अपने स्कूटर पर पीछे बैठा उसे उसके घर तक सुरक्षित छोड़कर वापस लौट रहे थे। विजयपाल का कहना था वह इनसे कुछ ही दूरी पर पीछे बाइक से चल रहे थे। जब लोग मदरसे के निकट पहुंचे तो सड़क किनारे एक मकान की छत से चली गोली हरीश कोचर की गर्दन में लगी और वह जमीन पर गिर पड़े। कोचर की मौत से दुखी इस परिवार के दिल में पुलिस के प्रति भरा रोष कोई ऐसे ही नहीं है। विजयपाल का कहना था कि जहां गोली लगी थी उससे कुछ ही दूरी पर पुलिस की दो जीप खड़ी थी। उसने बाइक रोकते ही कोचर को संभालते हुए चिल्लाकर पुलिस से मदद की गुहार लगाई, लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी। कोचर के भाइयों को फोन पर सूचना देने के बाद वह जीप के पास पहुंचा और कोचर को पुलिस जीप से अस्पताल ले जाने की गुहार लगाई। बकौल विजयपाल व कोचर के भाई मदन लाल पुलिस ने एंबुलेंस या अपने निजी वाहन से घायल कोचर को लेजाने की सलाह दी। तब तक परिजन मौके पर पहुंच चुके थे, पुलिस ने इनसे एक कागज पर हस्ताक्षर कराए और घायल कोचर को अस्पताल ले जाने दिया। इससे पहले वह वहां से हरीश कोचर को उठाने भी नहीं दे रहे थे। बिलखते परिजनों का कहना था कि तब से आज तक प्रशासन या पुलिस के स्तर से उनकी सुध लेने कोई नहीं पहुंचा है। हरीश कोचर परिवार में तीन भाइयों के परिवारों के साथ ही पत्नी व एक बेटी के साथ रहते थे। बेटी कक्षा 9 की छात्रा है।