'अरे,ऐसी आगजनी तो कश्मीर के बवाल में होती है'
सहारनपुर : दंगा क्यों हुआ और इसके पीछे किसका हाथ था? यह विषय जांच का है पर दंगे की राख में अवशेषों को तलाश रहे लोगों को इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा है कि कैसे बीस में मिनट के अंदर अंबाला रोड को बरबाद कर दिया गया। लोगों का मानना है कि उपद्रवियों की भीड़ में शामिल बहुत सारे लोग दिखे जिन्हें आगजनी से लेकर पुलिस की गोली से बचने तक की ट्रेनिंग थी। सूत्रों की माने तो जिस तरह का दंगा सहारनपुर में हुआ ऐसा दंगा तो जम्मू- कश्मीर के किश्तवाड़ और बारामूला में होता है।
शनिवार का मंजर देख अधिकारियों को अभी विश्वास नहीं हो रहा है कि क्या सहारनपुर के बाशिंदे ऐसा कर सकते हैं? भीड़ में शामिल वह कौन लोग थे, जो कानून को पैरों तल रौंद रहे थे और सीना तानकर पुलिस की गोली के सामने सीना ताने खड़े थे। हालांकि अधिकारी अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे है पर शनिवार रात यहां पहुंची पैरा मिलिट्री फोर्स के जवानों ने रविवार सुबह अंबाला रोड का जो मंजर देखा उनके मुंह से बरबस निकल आया अरे ऐसी आगजनी तो जम्मू-कश्मीर में होती है। ड्यूटी पर आये पैरा मिल्ट्री फोर्स के जवानों ने बताया कि कश्मीर में जब हिंसा भड़कती है तो वहां के लोग गोली खाने से भी नहीं डरते है और खुलकर आगजनी और लूटपाट करते हैं। दंगे के दौरान गोली से कैसे बचना है और गोली का जवाब किस तरह से देना होता है और पलक झपकते कैसे आगजनी और तोड़फोड़ करनी होती है। दंगे के दौरान कैसे हथियार छीने जाते हैं। इस तरह की ट्रेनिंग वहां के युवकों को दी जाती है। किश्तवाड़ दंगे में तो पाकिस्तान की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। इस दंगे में कुछ राजनैतिक दलों का भी हाथ था। पैरा मिल्ट्री फोर्स के उक्त वाक्य का जब गंभीर से मंथन किया गया तो ऐसा ही शनिवार तड़के सहारनपुर में देखने को मिला। फोर्स जब उपद्रवियों पर फायरिंग कर रही थी तो भीड़ में शामिल कुछ बलवाई सीना तान कर पुलिस की फायरिंग का जवाब पथराव से दे रहे थे। यहां तक कुछ उपद्रवी फायरिंग कर रहे एक जवान के पास तक हथियार छीनने के इरादे से जा पहुंचे थे। भीड़ में शामिल कुछ मुट्ठी भर उपद्रवियों ने मात्र बीस मिनट के अंदर अंबाला रोड पर तीन दर्जन से अधिक बड़ी दुकानों को आग के हवाले कर दिया और मजबूत ताले तोड़ कर वहां से माल भी लूट कर ले गये। उनके पास ऐसे कौन से औजार थे और ऐसा क्या था जिसे फेंकते ही दुकानें धूं-धूं कर जलने लगे। दंगे की आग ठंडी हुई तो पुलिस को वहां से ऐसा केमिकल मिला था, जिसके बारे में बताया जा रहा है कि वह कश्मीर में दंगों के दौरान आगजनी में प्रयोग किया जाता रहा है, क्योंकि अभी तक वेस्ट यूपी में कई जिलों में हुए बवाल के दौरान हुई आगजनी में ऐसा केमिकल पुलिस को नहीं मिला है, जैसा सहारनपुर में मिला। हालांकि अभी सीधे तौर पर कोई अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं,पर दबी छुपी जुबान में लोग यह मान रहे हैं कि दंगे में बाहरी लोगों का हाथ है।