ये राख के ढेर नहीं, हमारी उजड़ी हुई दुनिया है
सहारनपुर :कर्फ्यू में चार-चार घंटे की ढील दी गई तो शनिवार को दंगाइयों द्वारा जलाई गई दुकानों के मालिक अपने उजड़ चुके रोजगार के ठिकाने देखने पहुंचे। जली दुकानों में पड़ी राख के ढेरों में हाथ काले कर यह लोग सामान के अवशेष ढूंढ रहे थे।
शनिवार को हुए दंगे में सर्वाधिक आगजनी कुतुबशेर थाना क्षेत्र में अंबाला रोड पर हुई थी। यहां बलवाइयों ने थाने से फायर स्टेशन तक दोनों ओर चुन-चुन कर दुकानों को आग के हवाले किया था। यहां मोटर पार्टस, टायर्स, आटो पार्टस, इलेक्ट्रानिक्स की की थोक की दुकानें हैं। बलवाइयों ने इन्हें सबसे ज्यादा निशाने पर लिया। जिस समय दंगा हुआ उस समय बाजार खुला नहीं था। इन व्यापारियों को घर पर ही दंगे और आगजनी की खबर लगी तो ये लोग अपने प्रतिष्ठानों तक पहुंचने तक का भी साहस नहीं जुटा पाए। इसके बाद दोपहर में कर्फ्यू लग जाने के कारण शहरवासियों का वैसे ही घर से निकलना बंद हो गया था। 48 घंटे तक इन व्यापारियों को दंगे का दंश सालता रहा। एक आध दुकानदार जो आसपास ही रहता था। अपनी जलती हुई दुकान को देख सका। घर से दुकान की ओर दौड़ते दुकानदारों के कदम जली हुई दुकानों को देख जैसे थम गए। बहुत से दुकानदार तो अपनी जली हुई दुकानों के वीडियो बना रहे थे।
संतोषी आटो व नवल मोटर्स के मालिक संजय भारती ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि एक ही दुकान में 50 लाख का नुकसान है। सरकार पता नहीं कितना मुआवजा देगी। उनका तो रोजगार लूट गया। मोबाइल रिचार्ज की दुकान चलाने वाले चमनलाल का दर्द भी ऐसा ही था। उसका कहना था कि उसके पास तो इतना पैसा ही नहीं है कि वह फिर से अपना रोजगार खड़ा कर सके। परचून की दुकान करने वाले सुरेश खुराना व उसके परिवार का हाल भी जली दुकान को देख बेहाल था। नेहरू मार्किट में कपड़े का बड़ा व्यापार करने वाले दंगे के पीड़ित हरविंदर सिंह का कहना था कि उनकी दुकान में 35 लाख रुपए कीमत का कपड़ा दंगाईयों ने जला दिया। अंबाला रोड पर अमृत सिनेमा के सामने राजू आटो बैटरीज के व्यापारी राजू का कहना था कि उनकी दुकान से सारी बैटरी लूटने के बाद दुकान में आग लगा दी गई। उनका करीब 25 लाख रुपए का नुकसान है।