उम्मीदों के सहारे भाजपा के झंडाबरदार
सहारनपुर : मतदान के बाद परिणाम आने में अभी समय शेष है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी में नए सिरे से कसरत शुरू हो गई है। जीत किसकी होगी, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन उम्मीदों के सहारे भाजपा में सदर सीट पर एमएलए का चुनाव लड़ने का ख्बाव पाल रहे करीब आधा दर्जन नेताओं की कसरत शुरू हो गयी है। इसका असर अन्य दलों पर भी देखा जा रहा है।
लोकसभा की सहारनपुर सीट पर इस बार का चुनाव दिलचस्प हुआ है। भाजपा, कांग्रेस, बसपा और सपा के बीच दिलचस्प मुकाबला हुआ है। राजनीति के टीकाकारों का कहना है कि मुख्य लड़ाई भाजपा और कांग्रेस में है। बहरहाल, जीत किसकी होगी, यह तो परिणाम आने के बाद पता चलेगा किंतु भाजपा में कशमकश कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है। भाजपाई यह मान कर चल रहे हैं कि इस सीट पर उनके दल के उम्मीदवार राघव लखन पाल शर्मा की जीत अगर होती है तो सदर सीट पर विधायकी का चुनाव होना तय है। चूंकि राघव लखन पाल दूसरी बार सदर सीट से भाजपा के विधायक हैं। अगर वह चुनाव जीत गए तो जाहिर है कि उनको विधायकी छोड़नी पड़ेगी। ऐसे में एमएलए का इस सीट पर चुनाव होना तय है। इसी उम्मीद से भाजपा में आधा दर्जन लोग अभी से कसरत कर रहे हैं। पूर्व विधायक लाजकृष्ण गांधी, साहब सिंह पुंडीर, वरिष्ठ अधिवक्ता रणदीप सिंह पुंडीर, व्यापारी नेता दिनेश सेठी, राजीव गुंबर, अमित गगनेजा और अमर गुप्ता सरीखे नेताओं ने अपनी जुगत अभी से भिड़ानी शुरू कर दी है। उधर, अन्य दलों में भी कशमकश जारी है। अगर राघव जीत गए और चुनाव होता है तो कांग्रेस, बसपा और सपा खेमे से भी धुरंधर अपनी किस्तम जरूर आजमाएंगे। हालांकि अभी पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। क्योंकि प्रत्याशियों की किस्तम ईवीएम में कैद है और 16 मई को ही पता चलेगा कि विजयश्री ने वरण किसका किया, लेकिन उम्मीदों की नैय्या पर सवार होने वालों की कमी नहीं है। यही वजह है कि सबसे ज्यादा हलचल भाजपा में है।