Move to Jagran APP

कर्जदारों से वसूली में जुटे बैंक

रामपुर : वित्त वर्ष समाप्त होने को है। बैंकों को अब ऋण वसूली की फिक्र सताने लगी है। इसके लिए बैंक अफ

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 10:08 PM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 10:08 PM (IST)
कर्जदारों से वसूली में जुटे बैंक
कर्जदारों से वसूली में जुटे बैंक

रामपुर : वित्त वर्ष समाप्त होने को है। बैंकों को अब ऋण वसूली की फिक्र सताने लगी है। इसके लिए बैंक अफसर कर्ज लेने वालों के चक्कर लगा रहे हैं। जिले में वित्त वर्ष 2016-17 के लिए बैंकों को विभिन्न योजनाओं के तहत ऋण बांटने का लक्ष्य दिया गया था। इनमें राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (जिला उद्योग केंद्र), प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग) और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना शामिल है। इन योजनाओं में दो लाख से लेकर एक करोड़ रुपये तक ऋण दिए जाने का प्रावधान है। इसके लिए 288 लोगों ने आवेदन किए थे, जिसमें 200 के ही आवेदन स्वीकृत हो सके। स्वीकृत आवेदनकर्ताओं को करीब बीस करोड़ रुपये ऋण के रूप में दिए गए हैं। इसमें राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की बात करें तो इस योजना के तहत दो लाख रुपये तक ऋण दिया जाता है। चालू वित्त वर्ष में 149 लोगों को ऋण देने का लक्ष्य रखा गया। इसके लिए बैंकों में 356 आवेदन आए, जिसमें 93 ही स्वीकृत हो सके। यानी, करीब दो करोड़ ही बांटा जा सका। इसी तरह प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत उद्योग लगाने के लिए बैंक 25 लाख रुपये तक ऋण देते हैं। इसके लिए जिला उद्योग केंद्र और खादी ग्रामोद्योग आयोग में आवेदन करना होता है। जिला उद्योग केंद्र को इस वित्त वर्ष में 30 आवेदनकर्ताओं को ऋण देने का लक्ष्य था, जिसमें 13 को ही ऋण मिल सका। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को भी 30 आवेदनकर्ताओं को ऋण देने का लक्ष्य मिला था, जिसके सापेक्ष 15 आवेदन ही स्वीकृत हो सके। इस योजना में भी बैंकों ने करीब सवा चार करोड़ रुपये ऋण बांटा है। सबसे अधिक ऋण का वितरण राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत हुआ। इस योजना में माइक्रो कामधेनु के लिए 25 लाख रुपये तक ऋण का प्रावधान है। चालू वित्त वर्ष में 40 लोगों को ऋण देने का लक्ष्य मिला था, जो शत-प्रतिशत पूरा हो चुका है। मिनी कामधेनू के लिए 50 लाख तक ऋण मिलता है। 35 आवेदनकर्ताओं को ऋण देने का लक्ष्य था, जो पूरा हो चुका है। इसी तरह कामधेनु योजना में एक करोड़ तक ऋण की सुविधा है। इसमें चार लोगों को ऋण देने का लक्ष्य था। बैंकों ने अपना लक्ष्य पूरा कर लिया। इसके अलावा बैंकों ने अपने स्तर से करोड़ों रुपये गृह ऋण, व्यक्तिगत ऋण, वाहन ऋण आदि के रूप में बांटे। वित्त वर्ष पूरा होने पर क्लो¨जग को लेकर बैंक अफसर हिसाब साफ करने में जुटे हैं।

prime article banner

बैंक अधिकारियों की बात

बैंक ऋण की वसूली को लेकर सबसे ज्यादा दिक्कत ग्रामीण क्षेत्र के बैंकों में होती है, जहां कृषि संबंधी ऋण दिया जाता है। शहरी बैंक प्रापर्टी आदि के कागज गिरवी रखकर ऋण देते हैं, जिससे उन्हें वसूली में दिक्कत नहीं होती। एसबीआइ मुख्य शाखा में छह करोड़ ऋण बांटा गया, जबकि एनपीए खाते मात्र ढाई लाख रुपये तक हैं।

आलोक चंद्रा, चीफ मैनेजर, एसबीआइ मुख्य शाखा।

इस वित्त वर्ष बैंक ने सरकारी योजनाओं और अपने स्तर से सवा दो करोड़ रुपये ऋण बांटा है। कर्जदारों से ऋण की वसूली तेजी से की जा रही है। अभी तक 25 लाख रुपये रिकवरी हुई है। शेष रिकवरी के लिए कर्जदारों को नोटिस भेजे गए हैं। ऋण न चुकाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

राजेश कुमार, प्रबंधक स्टेट बैंक ऑफ पटियाला।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.