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रक्तदाताओं की भरमार, फिर भी खून को लाचार

रामपुर । जिले में रक्तदान करने वालों की कमी नहीं है। समय-समय पर होने वाले रक्तदान दिवस पर इतना खून इ

By Edited By: Published: Fri, 29 Apr 2016 10:36 PM (IST)Updated: Fri, 29 Apr 2016 10:36 PM (IST)
रक्तदाताओं की भरमार, फिर भी खून को लाचार

रामपुर । जिले में रक्तदान करने वालों की कमी नहीं है। समय-समय पर होने वाले रक्तदान दिवस पर इतना खून इकट्ठा हो जाता है कि ब्लड बैंक में उसे रखने के लिए जगह कम पड़ जाती है। बावजूद इसके जरूरतमंद खून के लिए भटकते हैं। समय से खून न मिलने पर लोगों की जान तक चली जाती है। हर साल 14 जून को रक्तदान दिवस मनाया जाता है। इस दिन जिला अस्पताल में रक्तदान शिविर लगाया जाता है, जिसमें अपनी स्वेच्छा से लोग रक्तदान करते हैं। इसके अलावा किसी महापुरुष की जयंती हो या फिर पुण्यतिथि। कोई दिवस विशेष हो या फिर अन्य कोई मौका। सामाजिक संस्थाएं और कुछ विशेष लोग रक्तदान के लिए आगे आ जाते हैं। कुछ ऐसी संस्थाएं भी हैं, जो नियमित रूप से रक्तदान करती हैं। नवंबर 2015 में गुरु तेग बहादुर शहीदी पर्व पर वीर खालसा सेवा समिति की ओर से रक्तदान शिविर लगाया गया, जिसमें 40 यूनिट रक्त इकट्ठा किया गया। इसी तरह 15 सितंबर को इंजीनियर डे पर सरकारी विभागों के इंजीनियर रक्तदान करते हैं। इसके अलावा अन्य स्वयं सेवी संगठनों की ओर से समय-समय पर रक्तदान किया जाता है। इस तरह इकट्ठा हुआ रक्त जिला अस्पताल के ब्लड बैंक को दे दिया जाता है। बावजूद इसके ब्लड बैंक में रोजाना लोग खून के लिए भटकते हैं। यह हाल तब है, जबकि ब्लड बैंक में जरूरतमंद को किसी विशेष ग्रुप का खून लेने के लिए उतना ही यूनिट खून किसी भी ग्रुप का देना पड़ता है। सवाल यह है कि फिर खून की कमी कहां और कैसे होती है?

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क्या कहते हैं अधिकारी

जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरके ढल बताते हैं कि ब्लड बैंक में खून की कमी नहीं है। यहां 150 यूनिट ब्लड स्टोर करने की सुविधा है। हर माह 120 से 130 यूनिट ब्लड की खपत होती है। हमारी कोशिश रहती है कि जरूरतमंद को खून दिया जाए और ऐसा किया भी जाता है। दिक्कत वहां आती है, जब विशेष ग्रुप का खून ब्लड बैंक में उपलब्ध नहीं होता है। तब मना करना मजबूरी हो जाता है।

सत्रह बार रक्तदान पर मिला सम्मान

वीर खालसा सेवा समिति समाज सेवा के कार्यों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेती है। समिति के सदस्य रक्तदान से भी पीछे नहीं रहते। इस समिति के अध्यक्ष अवतार ¨सह खुद 17 बार रक्तदान कर चुके हैं। इसके लिए उन्हें जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सम्मानित भी कर चुके हैं। अवतार ¨सह बताते हैं कि समिति में 50 सदस्य हैं। सभी सदस्यों का नाम, उनका ब्लड ग्रुप आदि जानकारी की सूची जिला अस्पताल और जौहर अस्पताल के ब्लड बैंक में उपलब्ध है। इसके अलावा भी कोई जरूरतमंद किसी भी समय खून के लिए समिति से संपर्क कर सकता है।

हर तीन माह में कर सकते हैं रक्तदान

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. शंकर लाल सारस्वत बताते हैं कि रक्तदान को लेकर लोगों में भ्रांतियां हैं। वे समझते हैं कि रक्तदान से उनके शरीर में कमजोरी आएगी और वह बीमार हो जाएंगे। ऐसा नहीं है। मनुष्य के शरीर में रक्त बनने की प्रक्रिया हमेशा चलती रहती है और रक्तदान से कोई भी नुकसान नहीं होता। कोई भी स्वस्थ्य व्यक्ति जिसकी उम्र 16 से 60 साल के बीच हो, जो 45 किलोग्राम से अधिक वजन का हो और जिसे जो एचआईवी, हेपाटिटिस बी या सी जैसी बीमारी न हुई हो, वह रक्तदान कर सकता है। एक बार में जो 350 मिलीग्राम रक्त दिया जाता है, उसकी पूर्ति शरीर में चौबीस घण्टे के अन्दर हो जाती है। जो व्यक्ति नियमित रक्तदान करते हैं, उन्हें हृदय सम्बन्धी बीमारियां कम होती हैं। स्वस्थ्य व्यक्ति को तीन माह में एक बार रक्तदान जरूर करना चाहिए।


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