लोगो के साथ:: ब्याज दरों में गिरावट से तरक्की करेंगे उद्योग
बढ़ती ब्याज दरों को उद्योगों की तरक्की में बाधा मान रहे उद्यमी, विदेशी बैंकों की तर्ज पर ब्याज दरें
बढ़ती ब्याज दरों को उद्योगों की तरक्की में बाधा मान रहे उद्यमी, विदेशी बैंकों की तर्ज पर ब्याज दरें कम करें सरकार
जागरण संवाददाता, रामपुर : लंबे अरसे से निर्यातक, उद्यमी एवं कारोबारी कम ब्याज पर ऋण की मांग करते चले आ रहे हैं। उनकी मांग अभी तक पूरी नहीं हुई। एक बार फिर आने वाले बजट से इन सभी की उम्मीदें जगी हैं। वजह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया पॉलिसी। इंडस्ट्रीज चाहे छोटी हो या बड़ी, इन्हें चलाने वालों की निगाहें साल 2016 के बजट पर टिकी हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार विदेशी बैंकों की तर्ज पर ब्याज दरों को कम करेगी और उद्योग तरक्की की राह पर चल पड़ेंगे। उद्योगों के मामले में कभी जनपद का नाम दूसरे नंबर पर था। उद्यमी कानपुर के बाद रामपुर में ही इंडस्ट्री लगाना पसंद करते थे। इसके चलते यहां उद्योगों की भरमार थी और दूर-दराज के लोग यहां रोजगार की तलाश में आते थे, लेकिन समय चक्र ऐसा बदला कि उद्योग धीरे-धीरे बंद होने लगे। वर्तमान में भी उद्योगों पर संकट के बादल छाए हुए हैं। जिले में मैंथा का बड़ा कारोबार है, लेकिन विदेशों में बन रहे ¨सथेटिक मैंथोल ने मैंथा कारोबार की कमर तोड़ दी है। इसके अलावा अन्य इंडस्ट्रीज बैंकों की बढ़ती ब्याज दरों को लेकर प्रतिस्पर्धा से बाहर होती जा रही हैं। आइआइए के चेयरमैन आकाश सक्सेना हनी बताते हैं कि विदेशी बैंकों के मुकाबले देश के बैंक इंडस्ट्रीज से ज्यादा रेट आफ इंटरेस्ट वसूल कर रहे हैं। यही वजह है कि निर्यातक विदेशी बैंकों से ऋण ले रहे हैं। विदेशी बैंक चार फीसद ब्याज पर ऋण मुहैया करा रहे हैं, जबकि यहां बैंक 11 से 13 फीसद तक ब्याज लेते हैं। विदेशी बैंकों से ऋण लेने में ज्यादा औपचारिकताएं भी नहीं करनी पड़ती हैं। बजट 2016 से इंडस्ट्रीज को बेहद उम्मीद है। पिछले कुछ साल इंडस्ट्रीज की सेहत के लिए ठीक नहीं रहे हैं। ब्याज पर छूट नहीं दी जाती है। यदि सरकार बजट में ब्याज दरों को छह फीसद तक भी कर दे तो यहां के निर्यातक विदेशी बैंकों की ओर नहीं भागेंगे। आइआइए इस दिशा में काम कर रही हैँ। एक एक्सपोर्टर सेल बना रहे हैं। सेल के माध्यम से एक्सपोर्ट को विदेशी बैंकों से कर्ज दिलाया जाएगा। पहली अप्रैल से सेल अपना काम शुरू कर देगा।
क्या कहते हैं उद्यमी
कांग्रेस सरकार के समय इंडस्ट्रीज को मिलने वाली ब्याज दरों में तीन फीसद तक की छूट मिलती थी, जो बाद में बंद कर दी गई। इससे निर्यातकों को बड़ा झटका लगा। अब देश में भाजपा की सरकार है और प्रधानमंत्री देश के विकास पर ध्यान दे रहे हैं। इंडस्ट्रीज के डवलपमेंट के लिए काम कर रहे हैं। निर्यातकों में फिर उम्मीद जगी है कि इस साल बजट में ब्याज दरों पर दोबारा छूट का प्रावधान किया जाएगा। इसके लिए निर्यातकों ने मांग भी की है। बैंकों की बढ़ती ब्याज दरों से कारोबार प्रभावित हो रहा है। प्रतिस्पर्धा खत्म हो गई है।
लक्ष्मी नारायण गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष यूपी मैंथोल एक्सपोर्ट एसोसिएशन।
वर्तमान में इंडस्ट्रीज बैंकों की बढ़ी हुई ब्याज दरों से प्रभावित हो रही है। 11 फीसद ब्याज देना पड़ता है। इससे मार्जिन और प्रॉफिट घट रहा है। इंडस्ट्रीज की स्थिति ठीक नहीं है। सरकार को आगामी बजट में इस ओर ध्यान देना चाहिए। ब्याज दरों को चार से पांच फीसद कम करा जाए, ताकि कारोबार फिर से तरक्की कर सकें। ब्याज दर कम होने से उद्योग तरक्की करेंगे और उत्पादों के दाम कम करके प्रतिस्पर्धा में बने रहेंगे। उत्पाद के दाम कम होने से आम जन भी राहत महसूस करेगा।
अमित जैन, महासचिव, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन।
सरकार को बजट में हैंडीक्राफ्ट निर्यातकों का भी ध्यान रखना होगा। हैंडीक्राफ्ट के एक्सपोर्ट करने पर पहले इनकम टैक्स में पूरी छूट दी जाती थी, लेकिन वर्तमान में यह छूट खत्म कर दी है। इससे हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट प्रभावित हुआ है। ड्यूटी ड्रा बैक भी बढ़ाने की जरूरत है। ऐसा करने के बाद ही यहां की इंडस्ट्रीज चाइना जैसे देशों से मुकाबला कर सकती है। इसके अतिरिक्त सरकार बजट में इंडस्ट्रीज को दिए जाने वाले ऋण की ब्याज दरों को भी कम करने की घोषणा करे, ताकि इंडस्ट्रीज को बढ़ावा मिल सके।
संजीव अग्रवाल, हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर राधिका इंटरनेशनल।
मौजूदा समय में बैंक इंडस्ट्रीज से 13 फीसद ब्याज ले रहा है, जबकि विदेशी बैंक ज्यादा से ज्यादा साढ़े सात फीसद ब्याज दर पर ऋण दे रहे हैं। ¨सगापुर बैंक चार फीसद, लंदन बैंक छह और यूएस के बैंक मात्र सात फीसद ब्याज दर पर इंडस्ट्रीज को ऋण उपलब्ध करा रहे हैं। ब्याज दरें जितनी कम होंगी, इंडस्ट्रीज उतनी ही तरक्की करेंगी। उत्पाद के दाम कम होंगे और मार्केट में प्रतिस्पर्धा करने में आसानी होगी। अधिक ब्याज दरों की वजह से इंडस्ट्रीज ग्रोथ नहीं कर पाती हैं और बंद हो जाती हैं।
एसके अग्रवाल, एमडी एसके डीजल इंडस्ट्रीज।