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बेरोजगारों को मिले रोजगार की संजीवनी

लोगो लगाएं::: छोटे बड़े सभी उद्योगों को मिले टैक्स में राहत, जमीनी स्तर पर किया जाए अमल जागरण संव

By Edited By: Published: Sat, 06 Feb 2016 07:01 PM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2016 07:01 PM (IST)
बेरोजगारों को मिले रोजगार की संजीवनी

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छोटे बड़े सभी उद्योगों को मिले टैक्स में राहत, जमीनी स्तर पर किया जाए अमल

जागरण संवाददाता, रामपुर : मेक इन इंडिया के सपने को साकार करने के लिए सरकार को उद्योगों के लिए नियम आसान करने होंगे। बिजली और पानी की सुविधा के साथ ही तमाम बाधाओं को शीघ्रता से दूर करना होगा। ताकि, देश में उद्योग स्थापित हों, इसके लिए जीएसटी को अहम माना जा रहा है। उद्योग टैक्स में

राहत चाहते हैं। लिहाजा, जहां इस बार उद्यमी जीएसटी पास कराने और टैक्स में छूट की उम्मीद संजोए बैठे हैं, वहीं देश के बेरोजगार युवाओं को रोजगार की संजीवनी की उम्मीद है।

केन्द्र सरकार देश का मैन्यूफैक्च¨रग हब बनाना चाहती है। भारतीय उत्पादों को एक ब्रांड के तौर पर विश्व पटल पर लाने की कोशिशें की जा रही हैं। यही नहीं देश में रोजगार को लेकर भी हालात बेहद खराब हैं। लिहाजा, सरकार ने इस मकसद को साकार करने के लिए मेक इन इंडिया कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके तहत न सिर्फ भारतीय उद्योग का बढ़ावा देने की कवायद है, बल्कि दूसरे देशों के उद्योगपतियों को भी भारत में उद्योग स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। एक साल पहले शुरू हुए इस कार्यक्रम से देश के युवाओं और उद्योग जगत को काफी उम्मीदें थीं। रामपुर के युवाओं में भी रोजगार मिलने की आस जगी। र्नइ फैक्टियां लगने की आस थी, लेकिन अब तक जमीनी स्तर पर इसका असर नहीं दिखा है। ऐसे में केन्द्र सरकार आगामी कुछ दिनों में आम बजट पेश करने जा रही है, जिससे मेक इन इंडिया को लेकर उद्योग जगत और बेरोजगार युवाओं को उम्मीद की र्नइ रोशनी की आस है। उद्योगपति चाहते हैं कि सरकार टैक्स प्रक्रिया को आसान करे। ¨सगल ¨वडो पंजीकरण व्यवस्था का प्रभावी बनाया जाए और मेक इन इंडिया के तहत र्कोइ भी र्नइ निर्माण इर्काइ लगाने वालों को टैक्स में छूट दी जाए। बिजली, पानी जैसी सुविधाएं प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कर्राइ जाएं। यहां

बने उत्पादों को वैश्विक स्तर की प्रदर्शनियों में स्थान मिले, जिससे उत्पाद का प्रचार प्रसार हो सके और लोग भारतीय उत्पाद को खरीदें। उद्योग जगत का मानना है कि इसमें र्कोइ दो राय नहीं है कि यहां के युवाओं में हुनर

की र्कोइ कमी है, लेकिन स्किल इंडिया कार्यक्रम को प्रभावी तरीके से अंजाम दिया जाए, ताकि युवाओं को अच्छा प्रशिक्षण मिले और उद्योग को कुशल मानवशक्ति। इसको लेकर सरकार की ओर से काफी कुछ किया भी गया है, लेकिन जमीनी तौर पर इसका असर दिर्खाइ नहीं दे पा रहा है। ऐसे में न तो युवाओं को सरकार की इस योजना का लाभ मिल पा रहा है और न ही उद्योगों को राहत। रोजगार के अभाव में जहां तहां धक्के खा रहे युवाओं को भी काफी निराशा हाथ लगी है। इन हालात के बीच सरकार के आम बजट में उद्योग क्षेत्र को कुछ राहत और बेहतर सुविधाओं की आस है तो युवाओं को रोजगार की उम्मीद है।

सरकार को चाहिए कि मेक इन इंडिया को सफल बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। बजट में ऐसे प्रावधान हों, जिससे उद्यमियों के बीच व्याप्त भय का वातावरण दूर हो। उनके उत्पादों का प्रमोशन हो, ताकि वैश्विक स्तर पर उनके उत्पाद की पहचान बने और वह उसे अच्छी तरीके से बेच सकें। इसके लिए सरकार को चाहिए कि

र्नइ निर्माण इर्काइयों को टैक्स के मामले में कुछ छूट दी जाए, जिससे नए उद्योग स्थापित हों। साथ ही जीएसटी को भी बजट सत्र में लागू किया जाए। इससे रोजगार के अवसर भी बढेंगे और अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

आकाश सक्सेना हनी, अध्यक्ष, इंडियन इंडस्ट्रीज एशोसिएशन, रामपुर।

बेरोजगारी बडी समस्या है। सरकार ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम शुरू तो कर दिया, लेकिन जमीनी स्तर पर उसका असर नहीं दिख रहा है। न तो उद्योग स्थापित हो रहे हैं और न ही युवाओं को रोजगार मिल रहा है। सरकार को चाहिए कि इस बजट में मेक इन इंडिया को साकार करने के लिए मजबूत कदम उठाए, ताकि उद्योग बढें और

बेरोजगारी दूर हो सके। इसमें ऐसे शहरों को प्राथमिकता दी जाए, जहां उद्योग कम हैं और बेरोजगाराी ज्यादा है। लिहाजा, इस बजट से सिर्फ रोजगार बढने की उम्मीद है, जो पूरी होनी चाहिए।

विशेष कुमार, छात्र आईटीआई

सरकार जो घोषणाएं करती है, उनपर सही से अमल कराए। बजट में हर साल तमाम घोषणाएं की जाती हैं, लेकिन जरूरतमंदों को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है, सरकार अगर योजनाओं को ठीक से लागू कर दे तो देश तरक्की कर सकेगा। मेक इन इंडिया के जरिए रोजगार की उम्मीद जगी थी, लेकिन यह उम्मीद वास्तविक तौर पर साकार नहीं हो सकी है। पढ़े लिखे नौजवान रोजगार के लिए तरस रहे हैं। कई युवा तो ऐसे हैं, जो अच्छी पढ़ाई करने के बाद भी मजदूरी करने को मजबूर हैं। मूलभूत सुविधाएं न मिलने की वजह से उद्योग बढ़ने के बजाए घट रहे हैं, जिस कारण बेरोजगारी बढ़ रही है।

मोहम्मद नाजिर, मैनेजर आकांक्षा आटोमोबाइलमेक इन इंडिया सरकार का बडा कार्यक्रम है। इसको लेकर र्कइ सपने भी दिखाएं हैं। रोजगार बढने की बात कही जा रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी कुछ नजर नहीं आ रहा है। सरकार को चाहिए कि उद्योगों को बढावा दे। युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा हों। युवाओं के कौशल विकास के लिए अच्छे प्रशिक्षकों की व्यवस्था की जाए, जिससे यहां के उत्पाद की गुणवत्ता दूसरे देशों की अपेक्षा अच्छी हो और उत्पाद भी सस्ता हो। इससे उद्योग को भी फायदा होगा और रोजगार भी बढेगा। किन्तु, सिर्फ कहने से नहीं करने से ही हालात बदलेंगे।

मोहित मल्होत्रा, अधिवक्ता।


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