टाप बॉक्स:: एक भवन में चल रहे दो स्कूल
स्कूल के शूल का लोगो लगाएं:: सब हेड: एक स्कूल में बेंचों पर तो दूसरे में जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं ब
स्कूल के शूल का लोगो लगाएं::
सब हेड: एक स्कूल में बेंचों पर तो दूसरे में जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं बच्चे
एक ही शौचालय के सहारे 240 बच्चे
जागरण संवाददाता, रामपुर : एक बि¨ल्डग, चार कमरे और दो स्कूल। इसमें भी एक स्कूल के बच्चे बेंचों पर तो दूसरे स्कूल के बच्चे जमीन पर नजर आते हैं। स्कूल में शिक्षकों की कमी के साथ ही शौचालय का भी अभाव है। ऐसे में जब स्कूल में भरपूर शिक्षक ही नहीं हैं, तो शिक्षा का स्तर सुधरे भी तो कैसे।
प्राथमिक शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए सरकार की ओर से हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। ढांचागत संसाधनों को बेहतर करने से लेकर शिक्षकों की कमी दूर करने के तमाम दावे किए जाते हैं। किन्तु, वास्तविकता इसके विपरीत है। जिले की प्राथमिक शिक्षा का बुरा हाल है। कहीं खुले आसमान के नीचे स्कूल चल रहे हैं तो कहीं एक ही भवन में कई-कई स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। मुहल्ला आखून खेलान में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। यहां स्कूल का एक भवन है, जिसमें चार कमरे हैं। इन चार कमरों में दो प्राथमिक विद्यालय चल रहे हैं। इनमें प्राथमिक विद्यालय झूले वाली इमली और प्राथमिक विद्यालय घेर कलंदर खां हैं। दोनों ही स्कूलों की स्थापना वर्ष 1962 में हुई थी। दोनों ही स्कूल किराए के भवन में चलते थे। किन्तु, वर्ष 2012 में प्राथमिक विद्यालय झूले वाली इमली का भवन बना, जिसके बाद स्कूल को नए भवन में शिफ्ट कर दिया गया। वहीं, प्राथमिक विद्यालय घेर कलंदर खां जिस भवन में चल रहा था, उसके मालिक ने बि¨ल्डग खाली करा ली थी। इस पर इस विद्यालय को भी आखून खेलान की बि¨ल्डग में ही शिफ्ट कर दिया गया। दोनों स्कूलों को दो-दो कमरे दे दिए गए। प्राथमिक विद्यालय घेर कलंदर खां के बच्चों के लिए फर्नीचर की अच्छी व्यवस्था है। सभी के बेंचे हैं। स्कूल में 125 बच्चे हैं, जिसमें से करीब सौ बच्चे उपस्थित रहते हैं। स्कूल में दो शिक्षिकाएं हैं। बिकारू निशा और आसमा। दोनों ही अध्यापिकाओं के सहारे सौ बच्चों की पढ़ाई होती है, जबकि प्राथमिक विद्यालय झूले वाली इमली में तीन शिक्षिकाएं हैं। इनमें इंचार्ज फरहा, सामरा इम्तियाज और जरीन खान हैं। स्कूल में 115 बच्चे हैं, जिनमें से यहां भी करीब सौ बच्चे उपस्थित रहते हैं। शिक्षिकाएं अपने खर्च पर विद्यालय की साफ सफाई कराती हैं। 240 बच्चों के लिए सिर्फ एक ही शौचालय है, जिससे बच्चों को काफी परेशानियां होती हैं। वहीं, प्राइवेट स्कूलों के हालात इससे बेहतर होते हैं, जिस कारण प्राइमरी विद्यालयों में बच्चे कम नजर आते हैं। हालांकि, अभिभावक विद्यालय को लेकर संतुष्ट नजर आए।
स्कूल में शिक्षकों की कमी है, जो दूर होनी चाहिए। फिलहाल, स्कूल में जितने भी शिक्षक हैं, बच्चों पर ध्यान देती हैं। समय समय पर बच्चे के बारे में बताया जाता है। बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त इंतजाम हों तो बेहतर होगा।
गुलवेज खां
शिक्षा के बिना आगे बढ़ पाना मुश्किल है। बच्चों को पढ़ाना भी जरूरी है। सरकार ने स्कूल तो चलाए, लेकिन शिक्षक नहीं है। यह समस्या दूर होनी चाहिए। साथ ही स्कूलों में बच्चों के जरूरी सुविधाएं भी हों। अलग भवन हो और लड़के एवं लड़कियां के लिए अलग अलग शौचालय की व्यवस्था हो।
हिना खान
पहले तो स्कूल किराए पर था। अब व्यवस्था बेहतर हुई है। टीचर कम हैं, लेकिन फिर भी पढ़ाई ठीकठाक होती है। शिक्षकियां नियमित रूप से आती हैं। बीमार होने पर ही बच्चों की छुट्टी होती है। बच्चे घर आकर भी शिक्षिकाओं की तारीफ करते हैं।
समीर खां
स्कूल में शिक्षा का बेहतर माहौल होना चाहिए। यहां बच्चे तो बहुत हैं, लेकिन टीचर कम हैं। दो स्कूल चलते हैं। दोनों स्कूलों के लिए अलग अलग भवन होने चाहिए, ताकि बच्चों के बीच पढ़ाई का अच्छा माहौल बने। फर्नीचर की व्यवस्था होनी चाहिए।
रीना
पहले तो दोनों स्कूल किराए के भवन पर थे, लेकिन एक भवन खराब हो गया और एक भवन स्वामी ने खाली करा लिया। जगह के अभाव की वजह से एक बि¨ल्डग में दो स्कूल हैं। शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए नियमित रूप से पत्राचार किया जा रहा है। आगामी दिनों में व्यवस्था में सार्थक सुधार होंगे।
जमील अहमद, नगर शिक्षाधिकारी, रामपुर।