गांवों में नहीं बन सके पंचायत घर
रामपुर। गांवों में पंचायत घर नहीं बन पा रहे हैं। पांच साल बाद इस बार तीन पंचायत घरों का ही बजट मिल
रामपुर। गांवों में पंचायत घर नहीं बन पा रहे हैं। पांच साल बाद इस बार तीन पंचायत घरों का ही बजट मिल सका है, जबकि विभाग ने 20 पंचायत घर बनवाने को बजट मांगा था।
सभी ग्राम पंचायतों का कार्यालय होना चाहिए। कार्यालय भी पंचायत घर में बनाया जाता है, ताकि ग्राम पंचायत के कार्यो का संचालन वहां से किया जा सके, लेकिन पंचायत घर नहीं बन पा रहे हैं। जिले में 580 ग्राम पंचायतें हैं, जबकि पंचायत घर 150 में ही हैं। विभाग अन्य ग्राम पंचायतों में भी पंचायत घर बनवाने का प्रयास कर रहा है, जिसके लिए पैसा नहीं मिल पा रहा है। पंचायत घरों में मिनी सचिवालय भी खोला जाना हैं। यानी पंचायत विभाग के अलावा ग्राम स्तरीय समस्त विभागों का रिकार्ड वहा रहे। ग्राम पंचायत अधिकारी, लेखपाल, रोजगार सेवक, एएनएम, शिक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकत्री, आशा आदि कार्यालय में हाजिरी लगाएं। सप्ताह में एक या दो दिन कर्मचारियों के बैठने को निश्चत किए जाएं, ताकि ग्रामीणों को मामूली कामों के लिए भी तहसील और जिला मुख्यालय को न भागना पड़े।
इसलिए हर साल विभाग पंचायत घर बनवाने की कोशिश करता है। इसके लिए बजट की मांग की जाती है, लेकिन पंचायत घरों के लिए पैसा नहीं मिल रहा है। इस वित्तीय वर्ष में भी विभाग ने 20 पंचायत घर बनवाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया था। इसे जिला योजना से पास भी कराया गया, लेकिन पैसा सिर्फ दो पंचायत घरों का ही मिल सका है। एक पंचायत घर पर 7.15 लाख रुपये लागत आना है, जिस हिसाब से दो का बजट 14.30 लाख ही मिला है। इससे एक पंचायत घर बिलासपुर क्षेत्र के मुंडिया खुर्द और एक चमरौआ क्षेत्र के पहाड़ी गांव में बनवाया जा रहा है। निर्माण के लिए पहली किस्त जारी कर दी, जबकि एक पंचायत घर का पैसा केन्द्र सरकार ने राजीव गांधी सशक्तिकरण योजना से दिया है। इसे सेंटाखेड़ा गांव में बनवाया जा रहा है। इस योजना से पांच हजार की अधिक की आवादी वाली ग्राम पंचायतों में पंचायत घर बनवाए जाना हैं, लेकिन इससे भी पर्याप्त पैसा नहीं मिल पा रहा है। यह वित्तीय वर्ष भी पैसे के इंतजार में बीत गया। जिला पंचायत राज अधिकारी एके शाही ने बताया कि इस वर्ष तीन पंचायत घरों का ही पैसा मिल सका है। जिला योजना से 20 का पैसा मांगा गया था।