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चीनी मिलों ने समितियों को किया कंगाल

शफी अहमद, रामपुर। चीनी मिलों ने गन्ना समितियों को कंगाल कर दिया है। मिलें न तो किसानों को समय पर पैस

By Edited By: Published: Thu, 20 Nov 2014 11:40 PM (IST)Updated: Thu, 20 Nov 2014 11:40 PM (IST)
चीनी मिलों ने समितियों को किया कंगाल

शफी अहमद, रामपुर। चीनी मिलों ने गन्ना समितियों को कंगाल कर दिया है। मिलें न तो किसानों को समय पर पैसा दे रजी हैं और न ही समितियों का कमीशन दे रही हैं। जनपद की तीनों चीनी मिलों पर गन्ना समितियों के 11 करोड़ रुपये बाकी हैं, जिसके कारण समितियों कंगाल

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हो रही हैं।

गन्ना समितियां किसानों से गन्ना लेने का माध्यम हैं। चीनी मिलों को गन्ना समिति ही गन्ना दिलाती हैं। मिलें संबंधित समिति को पर्ची जारी करती है और समिति उसे किसानों तक पहुंचाती है। इसी पर्ची के आधार पर किसान अपना गन्ना लेकर मिल या गन्ना क्रय केंद्र तक पहुंचता है। मिल जब चाहे किसान का गन्ना ले लेता है, लेकिन समय पर भुगतान नहीं करता। यहां तक कि साल भर तक किसानों को परेशान किया जाता है। अब अगर गन्ना समितियों की हालत देखें तो और भी बुरी है। दरअसल गन्ना समितियां स्वयं वित्त सेवी संस्थाएं हैं। इन्हें शासन से किसी तरह की वित्तीय सहायता नहीं मिलती। समिति किसान और चीनी मिलों के बीच की जो भूमिका निभाती हैं, इसके बदले में तीन प्रतिशत कमीशन मिलता है। इसी धन से वे अपना खर्च उठाती हैं। कर्मचारियों का वेतन भी कमीशन से ही दिया जाता है, लेकिन चीनी मिलें गन्ना समितियों को भी कमीशन नहीं दे रही हैं। मिलों पर समितियों का कई-कई साल से कमीशन का पैसा बकाया है। जनपद की तीनों चीनी मिलों पर 11.61 करोड़ बकाया हैं।

राणा चीनी मिल पर वित्तीय वर्ष 2013-14 का 3.54 करोड़ बकाया हैं। वित्तीय वर्ष 2012-13 का 2.73 करोड़ बाकी है और वर्ष 2011-12 का 1.35 करोड़ रुपया बकाया है। तीन साल का मिल पर 8.72 करोड़ रुपया है, जिसे मिल नहीं दे रही है। त्रिवेणी मिल भी समितियों का पैसा नहीं दे रही है। पिछले सीजन वर्ष 2013-14 का 2.26 करोड़ कमीशन था, जो दे दिया, लेकिन इसकी पूर्ति शासन ने की है। शासन ने मिल को कमीशन का पैसा दे दिया है, लेकिन त्रिवेणी चीनी मिल पर वित्तीय वर्ष 2011-12 का 63.37 लाख और वित्तीय वर्ष 2012-13 का 2.15 करोड़ रुपया बकाया है। यानी त्रिवेणी मिल पर 2.78 करोड़ गन्ना समितियों के बाकी हैं। यहां तक कि सहकारी चीनी मिल रुद्र बिलास भी समय से समितियों का कमीशन नहीं दे रही है। वित्तीय वर्ष 2012-13 का 10.92 लाख रुपये बाकी हैं।

समितियों को कमीशन न मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। रामपुर गन्ना समिति के पास बजट नहीं है। इसलिए खींचतान कर अक्टूबर माह का वेतन दे दिया, लेकिन नवंबर का वेतन कर्मचारियों को नहीं मिल सकेगा। यदि मिल ने कमीशन का पैसा दिया, तभी वेतन जारी हो सकेगा।

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सेवानिवृत कर्मचारियों का पैसा भी रुका

रामपुर : रामपुर गन्ना समिति के दो कर्मचारी दो माह पहले सेवानिवृत हुए थे। उन्हें फंड आदि का करीब तीन लाख भुगतान किया जाना है, लेकिन पैसा न होने से उनका भुगतान नहीं हो सका है।

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राणा मिल पर इन समितियों का बकाया

रामपुर। राणा शुगर मिल जनपद के अलावा आसपास के जिलों से भी गन्ना लेती है। इसलिए इस पर रामपुर, मिलक, बिलारी, बदायूं, बरेली और चन्दौसी की गन्ना समितियों का पैसा बाकी है।

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त्रिवेणी पर इनका बकाया

रामपुर। स्वार की त्रिवेणी चीनी मिल गन्ना समिति स्वार, मिलक और रामपुर समिति का पैसा बाकी है, जबकि रुद्र बिलास सहकारी चीनी मिल पर रामपुर गन्ना समिति का पैसा बाकी है।


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