तेरे दर के सिवा किसी दर पर सिर झुकाना हमें नहीं आता
रामपुर। टांडा नगर के मुहल्ला बरगद में मुशायरे का आयोजन किया, जिसमें शायरों ने देर रात तक अपने शेरो
रामपुर। टांडा नगर के मुहल्ला बरगद में मुशायरे का आयोजन किया, जिसमें शायरों ने देर रात तक अपने शेरों से श्रोताओं को बांधे रखा। हाजी सगीर के आवास पर आयोजित मुशायरे की शुरुआत अफजलगढ़ निवासी शराफत के नाते पाक से हुई। उन्होंने कहा कि-
खजूरों के झुरमुट में नींद ऐसी आए,
मैं फिर उठना पाऊं तमन्ना नहीं है।
इसके बाद ख्याल मुरादाबादी ने कहा कि
तरके वका का तुमने जो एलान कर दिया,
क्या जुर्म ए हमने मेरी जान कर दिया।
महफिल में हो रहा था घटाओं का तजकरा,
जुल्फों को अपने जो परेशान कर दिया।
वसीम अकरम टांडवी ने कहा कि -
बदनजर रखते हैं जो दुख्तरो हमशीरा पर,
ऐसे इंसानों से तू रहना किनारा करके।
शिहाब टांडवी ने कहा कि -
जिससे मिलते हैं दिल से मिलते हैं,
भूल जाना हमें नहीं आता।
तेरे दर के सिवा किसी दर पर,
सिर झुकाना हमें नहीं आता।
ठाकुरद्वारा के शायर शादाब ने कहा कि -
तेरी हर बात गजल बन जाए,
तेरी सौगात गजल बन जाए।
तेरी आंखें अगर हो जाएं नम,
पूरी बरसात गजल हो जाए।
ठाकुरद्वारा के असलम मस्तानबी ने कहा
खैरमकदम किया हवाओं ने
घर से निकला मैं जो दिया लेकर।
देर रात तक चले मुशायरे में कमसिन टांडवी, जहीर अफजलगढ़, कौसर वारसी आदि ने कलाम पेश किए। सदारत हाजी अब्दुल रहीम व निजामत शहाबुद्दीन शिहाब ने की।