तरक्की के लिए शिक्षा जरूरी : कुरैशी
रामपुर। राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. शरीफ अहमद कुरैशी के जीवन का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को शिक्षित बनाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। अपने 23 साल के सेवा काल में उन्होंने इसके लिए काफी प्रयास किया। डॉ. कुरैशी को शिक्षक श्री सम्मान समेत प्रदेश स्तरीय दस से ज्यादा अवार्ड प्राप्त हैं।
उन्होंने वर्ष 1991 में रजा महाविद्यालय से ही अपने शिक्षण के कैरियर की शुरूआत की। उर्दू विषय के विशेषज्ञ रहे और लोक संस्कृति के विकास के लिए कार्य किया। साथ ही उर्दू व हिन्दी साहित्य के लिए भी कार्य किया। उनका कहना है कि शिक्षा ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचनी चाहिए, क्योकि बिना शिक्षा के किसी भी स्तर पर विकास को गति नहीं मिल सकती। खास तौर पर बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। एक बालिका के शिक्षित होने से पूरा परिवार शिक्षित होता है। उन्होंने कहा कि बालिका शिक्षा के लिए लगातार कार्य कर रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा। खासकर वे बालिकाएं जो परदे में रहती है बाहर की दुनिया नहीं देखी, उन्हें शिक्षित बनाना जरूरी है। डॉ. कुरैशी को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा के लिए प्रदेश सरकार ने शिक्षक श्री के सम्मान ने नवाजा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की ओर से पुस्तक चिराग तले अंधेरा के लिए सम्मानित किया गया। उर्दू अकादमी द्वारा इससे पूर्व उन्हें करीब दस सम्मान दिए जा चुके हैं। इसके अलावा बिहार उर्दू अकादमी, आगरा की गालिब अकादमी, सौलत पब्लिक लाइब्रेरी ने भी साहित्यिक उपलब्धि के लिए उन्हें सम्मानित किया है। डॉ. कुरैशी ने अब तक सोलह उर्दू और एक हिन्दी की पुस्तकें लिखी है।