बजट के बिना डलमऊ नहीं बन सका हरिद्वार
डलमऊ: डलमऊ के बदहाल गंगा घाटों 84 करोड़ रूपए से हरिद्वार की तर्ज पर विकसित करने के नमामि गंगे योजना
डलमऊ: डलमऊ के बदहाल गंगा घाटों 84 करोड़ रूपए से हरिद्वार की तर्ज पर विकसित करने के नमामि गंगे योजना का उद्घाटन किया गया तो डलमऊ वासियों को लगा कि जल्द ही डलमऊ के अच्छे दिन आने वाले है। लेकिन समय के साथ-साथ योजना भी ठंडी होती दिख रही है। 10 माह बीत जाने के बावजूद नामामि गंगे योजना को धरातल पर न उतरने से लोगों में मायूसी छाने लगी है।
डलमऊ के घाटों का केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना के तहत कलेवर बदलना था। 8 जुलाई को तत्कालीन डीेएम सूर्य पाल गंगवार ने इस योजना का उदघाटन किया था। हरिद्वार की तर्ज पर घाटों का सुदरीकरण होना था। लेकिन अब सब कुछ ठंडे बस्ते में जा चुका है। गंगा मैली की मैली रह गईं हैं। इन घाटों का होना था जीर्णोद्धार डलमऊ गंगा तट पर स्थित किला घाट, सड़क घाट, वीआइपी घाट, रानी शिवाला घाट, संकट मोचन घाट, पथवारी देवी घाट, पक्का घाट, शुकुल घाट, महावीरन घाट, छोटा मठ घाट, बड़ा मठ घाट, श्मशान घाट आदि घाटों का नमामि गंगे योजना के अंतर्गत सर्वांगींण विकास कराने की योजना थी।ये होने थे कार्य उद्घाटन के दौरान डीएम सूर्यपाल गंगवार ने योजना के द्वारा किए जाने वाले विकास कार्यों का नक्शा भी लोगों के समक्ष रखा। इसमें नालों के पानी को शोधित कर गंगा में गिराना, गंगा के किनारे घाटों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कर विकसित करना, सभी घाटों पर वृक्षारोपड़, चेन्ज रूमों का निर्माण, घाटों तक पहुंचने के लिए चमचमाती सड़कों का निर्माण, वाईफाई की सुविधा, घाटों में रात्रि के दौरान सौर ऊर्जा से प्रकाशित करना आदि विकास कार्य प्रमुख थे। बस चलाने की योजना भी खटाई में डलमऊ गंगा घाटों में काशी व हरिद्वार की तर्ज पर गंगा आरती में अधिक से अधिक लोगों को पहुंचाने के उद्देश्य से रायबरेली से डलमऊ के लिए बस सेवा चलाए जाने की घोषणा भी पूर्व जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार द्वारा की गयी थी लेकिन उक्त बस सेवा जिलाधिकारी के तबादले के साथ ही ठंडे बस्ते में चली गयी। उक्त बस सेवा का समय भी आरती के समय शायं 6 बजे रखा गया था।
साहब बोले
डलमऊ उपजिलाधिकारी राजीव राय ने बताया कि, नमामि गंगे योजना का खाका तैयार हो चुका है। शासन से बजट मिलते ही योजना के अंतर्गत आने वाले विकास कार्यों को शुरू कराया जाएगा।